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सरकार ने Covid-19 के इलाज में आपातकालीन स्थिति में Remdesivir के इस्तेमाल की अनुमति दी
नई दिल्ली। देश भर में दिनों दिन बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 (Covid-19) के इलाज के लिए आपातकालीन स्थिति में ऐंटी वायरल दवा रेमडेसिविर, प्रतिरोधक क्षमता के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा टोसीलीज़ुमैब और प्लाज़्मा उपचार की सिफारिश की। अपने पहले स्टैंड से हटकर मंत्रालय ने कहा कि सार्थक प्रभाव के लिए बीमारी की शुरुआत में मलेरिया रोधक दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का इस्तेमाल और गंभीर मामलों में इससे बचना चाहिए। मंत्रालय ने नये प्रोटोकॉल के तहत गंभीर स्थिति और आईसीयू की जरूरत होने की स्थिति में एजिथ्रोमाइसीन के साथ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किए जाने की पहले की अनुशंसा को समाप्त कर दिया है।
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डॉ. रेड्डीज ने रेमडेसिविर के लिए गिलीड साइंसेस के साथ समझौता किया
इसने कहा कि कई अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के क्लीनिकल इस्तेमाल में काफी फायदा बताया गया है। संशोधित प्रोटोकॉल में कहा गया है, ‘कई बड़े अवलोकन अध्ययनों में इसका कोई प्रभाव या सार्थक क्लीनिकल परिणाम नहीं दिखा है।’ इसमें आगे बताया गया है कि अन्य वायरसरोधी दवाओं की तरह इसका इस्तेमाल बीमारी की शुरुआत में किया जाना चाहिए ताकि सार्थक परिणाम हासिल किया जा सके और गंभीर रूप से बीमारी मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल करने से बचा जाना चाहिए। वहीं इस सब के बीच खबर मिली है कि डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड ने शनिवार को कहा कि उसने गिलीड साइंसेस के साथ कोविड-19 की संभावित दवा रेमडेसिविर के उत्पादन के लिए गैर- विशिष्ट लाइसेंसिंग समझौता किया है।
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डॉ. रेड्डीज को रेमडेसिविर के विनिर्माण और बिक्री का अधिकार मिलेगा
इस समझौते के तहत डॉ. रेड्डीज को रेमडेसिविर (Remdesivir) के विनिर्माण और भारत सहित दुनिया के 127 देशों में बिक्री का अधिकार मिलेगा। कंपनी द्वारा इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इस समझौते के तहत डॉ. रेड्डीज को गिलीड की तरफ से इस दवा के विनिर्माण के लिए तकनीकी हस्तांतरण किया जाएगा। हालांकि, इस समझौते के लिए नियामक मंजूरी मिलनी बाकी है।अमेरिका के दवा नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने रेमडेसिविर को कोविड-19 के मरीजों के इलाज में आपातकालीन उपयोग की स्वीकृति दी है। भारत इस समय रेमडेसिविर का विनिर्माण नहीं करता है।गिलीड साइंसेस इससे पहले चार अन्य भारतीय कंपनियों के साथ ऐसा ही गैर-विशिष्ट लाइसेंसिंग समझौता कर चुकी है, जिसके लिए भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी का इंतजार है।