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लेखराज धरटा/शिमला। मास्टर प्रिंट चोरी कर सरकारी कैलेंडर छापने के मामले में हिमाचल प्रदेश राजकीय मुद्रणालय अराजपत्रित कर्मचारी संघ भड़क गया है। संघ ने सीएम जयराम ठाकुर को ऑनलाइन शिकायत कर मामले की जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। संघ के महासचिव कमलेश कुमार ने कहा कि सरकार के वर्ष 2019 के सरकारी कैलेंडर का मुद्रण कार्य हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सरकारी मुद्रणालय घोड़ा चौकी में ही किया गया है, लेकिन कुछ शातिर तत्वों ने हिमाचल प्रेस के भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत करके सरकारी कैलेंडर का मास्टर प्रिंट चोरी करके हजारों की संख्या में सरकारी कैलेंडर अवैध रूप से चंडीगढ़ के एक निजी प्रेस से छपवा डाला, जिसको जनवरी 2019 को पहले सप्ताह में शिमला के पुस्तक विक्रेताओं को बेचने के लिए उपलब्ध करवा दिया गया।
हिमाचल प्रेस के कर्मचारियों को जब नंबर दो में छपे इस कैलेंडर की जानकारी प्राप्त हुई तो मुद्रणालय अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने तुरंत इसकी शिकायत नियंत्रक मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग को लिखित रूप में की, जिसके साथ अवैध रूप से मुद्रित किए गए कैलेंडर का नमूना भी संलग्न किया गया। नियंत्रक ने उसी दिन विभागीय जांच समिति का गठन किया जांच का जिम्मा उप नियंत्रक की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति को सौंपा गया, जिसकी जांच रिपोर्ट दो दिन के भीतर देने को कहा गया। जांच समिति के दो सदस्यों ने बाजार में जाकर पुस्तक विक्रेताओं के पास मामले की जांच भी की और अवैध रूप से छपे कैलेंडर को विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं के पास बिकते हुए भी पाया जो सरकारी प्रेस में छपे कैलेंडर से निम्न था। लेकिन जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
बाजार में उपलब्ध कैलेंडर को 15 रुपए में बिकने दिया गया जबकि हिमाचल के पुस्तक सेल डिपो में सरकारी कैलेंडर 17 रुपए में बिकता है। परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के सरकारी कैलेंडर की सेल कम हो गई और हजारों की संख्या में कैलेंडर सरकारी सेल डिपो में बिना बिके रह गया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया गया है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि अब एक महीने के पश्चात जांच रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें भ्रष्ट लोगों व अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया है। जांच में सिर्फ लीपापोती की गई है। जांच समिति के कुछ सदस्यों पर भी दवाब बनाने का प्रयास किया गया है। बता दें कि जांच समिति का जिम्मा जिस अधिकारी को सौंपा गया है वह अधिकारी हाईकोर्ट के 66 दागी अधिकारियों की सूची में शामिल हैं। जिस कर्मचारी की इस मामले में संलिप्ता होने की आशंका है उस पर कई मामलों में विभागीय जांच चल रही है। सरकार मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
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