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सरकार के विकास के दावों की खुली पोल, इकोनोमिक मैनेजमेंट पर सवाल
धर्मशाला। हिमाचल सरकार के विकास के दावों की पोल कैग की रिपोर्ट ( Cag Report) ने खोल दी है। सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर सवाल उठाए गए हैं। कैग के अनुसार 2019.20 में सरकार के लोक ऋण दायित्व और इसके ब्याज (Interest) के भुगतान की रकम 62234 करोड़ होगी। इसमें 40572 करोड़ के मूलधन और 21662 करोड़ की ब्याज राशि शामिल है। सरकार को 2024-25 तक 6207 करोड़ हर साल मूलधन और ब्याज के रूप में अदा करने होंगे। शीत सत्र के अंतिम दिन सदन में जयराम सरकार ने कैग की रिपोर्ट पेश की।
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इसके मुताबिक 2019-20 में प्रदेश का राजकोषीय घाटा 5597 करोड़ दर्ज किया गया है। 14वें वित्तायोग (Finance Commission) तथा एफआरबीएम अधिनियम के मुताबिक राजकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का तीन फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। 2019-20 में यह घाटा जीडीपी (GDP) का 3.38 फीसदी दर्ज किया गया। 2018-19 में प्रदेश को 510 करोड़ का सरप्लस दिखाया गया था। 2019-20 में यह 1363 करोड़ के प्राथमिक घाटे में बदल गया। रिपोर्ट में कहा गया कि 14वें वित्तायोग की प्रदेश की मध्य अवधि राजकोषीय योजना 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुरूप नहीं थी। इसका नतीजा यह हुआ कि 2019-20 के वास्तविक आंकड़े अनुमानित लक्ष्यों से मेल नहीं खा रहे थे।
2016 से 2020 के मध्य केंद्रीय करों के हस्तांतरण में वृद्धि की वजह से सरकार ने राजस्व अधिशेष दिखाया, लेकिन वास्तव में 2018-19 को छोड़ 2016-17 व 2019-20 में राजस्व अधिशेष में बढ़ोतरी नहीं हुई। 2019-20 में सरकार की राजकोषीय देनदारियों में 14.57 फीसदी का इजाफा हुआ। उस वर्ष सरकार (Goverment) की देनदारियां 62212 करोड़ थीं। राजकोषीय देनदारियां सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले अधिक होने पर कैग ने सवाल खड़े किए हैं। 2013-14 से 2018-19 के मध्य खर्च किए गए 9154-31 करोड़ के अधिक खर्च को विधानसभा (Assembly) की मंजूरी का इंतजार है।
प्रदेश को कम आया राजस्व
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019.20 में प्रदेश की राजस्व प्राप्तियों में 204.92 करोड़ की कमी आई है। 2018-19 के 30950.28 करोड़ के मुकाबले 2019.20 में राजस्व प्राप्तियां घटकर 30745.32 करोड़ रहीं। राजस्व प्राप्तियों में भी 67 फीसदी हिस्सा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी व केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता अनुदान राशि का है। प्रदेश के अपने संसाधनों से खजाने में सिर्फ 33 फीसदी राजस्व आया है। 2019-20 में प्रदेश के खजाने में कर राजस्व के तौर पर 7626,78 करोड़ तथा गैर कर राजस्व के एवज में 2501.50 करोड़ जमा हुए। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के एवज में 4677.56 करोड़ तथा केंद्र से सहायता अनुदान के तौर पर प्रदेश को 15939 करोड़ मिले।
वैट, जीएसटी की वसूली न होने से सरकार को नुकसान
रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वैट (VAT), आबकारी शुल्क, बिक्री कर और जीएसटी की समय पर उगाही न होने अथवा कम वसूली से सरकार को 1159 मामलों में 541.95 करोड़ का नुकसान हुआ है। शराब ठेकेदारों ने 1913244 प्रूफ लीटर कम शराब उठाई। सरकार को 58.50 करोड़ के राजस्व से वंचित रहना पड़ा। आबकारी एवं कराधान विभाग के लेखों की जांच के बाद कैग ने खुलासा किया है कि 36 लाइसेंसधारकों के कम शराब उठाने या फर्जी चालान प्रस्तुत कर शराब उठाने से खजाने को करीब 34 करोड़ का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि तय मात्रा से कम शराब उठाने वाले ठेकेदारों के खिलाफ भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
बिजली बोर्ड की माली हालत में आया सुधार
राज्य बिजली बोर्ड (State Electricity Board) की माली हालत में कुछ सुधार आया है। कैग रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड के टर्नओवर (Turnover) में वर्ष 2017.18 के मुकाबले 2019.20 में 286 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में बिजली बोर्ड का टर्न ओवर 3342.62 करोड़ रुपए था। 2019-20 में यह बढ़कर 3629.19 करोड़ रुपए हो गया है। हिमाचल प्रदेश की ऊर्जा नीति में किए गए बदलाव के चलते यह सुधार आया है। कैग रिपोर्ट के अनुसार भारतीय लेखांकन मानक के तहत समायोजन के बाद प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के लाभ में 0.54 करोड़ रुपए की वृद्धि और बिजली बोर्ड की हानियों में 67.23 करोड़ रुपए की वृद्धि पाई गई।
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