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नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों करप्शन (corruption) और कपशन करने वाले अपने नुमाइंदों के साथ कितनी सख्ती से पेश आ रही है इसका अंदाजा सरकार के इस फैसले से लगाया जा सकता है। दरअसल केंद्र सरकार (Central Govt) ने सोमवार को नियम 56 (जे) के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के 22 और वरिष्ठ अधिकारियों (CBIC officials) को भ्रष्टाचार व अन्य आरोपों के चलते जबरन रिटायर (forcibly retires) कर दिया है। ये अधिकारी सीबीआईसी के सुपरिटेंडेंट/एओ रैंक के थे। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने सीबीआईसी के 15 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर किया था।
बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब सरकार की तरफ से इस तरह का कदम उठाया गया है। इससे पहले बीते जून महीने में 15 अधिकारियों की छुट्टी की गई थी। ये अधिकारी CBIC के प्रधान आयुक्त, आयुक्त, और उपायुक्त रैंक के थे। इनमें से ज्यादातर के खिलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही टैक्स विभाग के 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया था। यानी अब तक कुल 49 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है। बता दें कि फंडामेंटल रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दे सकती है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। ऐसे में सरकार यह फैसला लेती है कि कौन से अधिकारी काम के नहीं हैं। यह नियम बहुत पहले से ही प्रभावी है।
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