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राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने केंद्रीय रक्षा मंत्री Rajnath Singh को क्यों लिखा पत्र- जानिए
Last Updated on June 29, 2020 by Deepak
शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Governor Bandaru Dattatreya) ने भारत सरकार को हिमाचल प्रदेश के चीनी सीमा से सटे लाहुल-स्पीति (Lahul-Spiti) और किन्नौर (Kinnaur) जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर कुछ एहतियाती उपाय सुझाए हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र के माध्यम से राज्यपाल ने कहा है कि चीन की सीमा के साथ लगे होने के कारण ये क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं तथा भारत और चीन (China) के मध्य चल रहे तनाव के मद्देनज़र इन क्षेत्रों पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
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भारतीय सेना की एक स्वतंत्र माउंटेन डिवीजन तैनाती की मांग
उन्होंने कहा कि तिब्बत और चीन के साथ हिमाचल प्रदेश की 260 किलोमीटर लंबी सीमा है, इसलिए हमें किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। राज्य के दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्र में संचार और सड़क यातायात सुदृढ़ किया जाना चाहिए। वर्तमान में भारतीय सेना (Indian Army) की केवल एक स्वतंत्र ब्रिगेड किन्नौर जिला के पूह में तैनात है और भविष्य में भारतीय सेना की एक स्वतंत्र माउंटेन डिवीजन (Independent Mountain Division) की तैनाती की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर चीन की तरफ से आने वाले ड्रोन से निपटने के लिए पर्याप्त बंदोबस्त करने की भी आवश्यकता है।
हिमाचल पुलिस कर रही बेहतरीन कार्य
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि लाहुल और स्पीति जिले में सैनिकों की तुरंत तैनाती के लिए स्पीति क्षेत्र में एक हवाई पट्टी की नितांत आवश्यकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर यह हवाई पट्टी सैनिकों के लिए अग्रिम लैडिंग ग्रांउड की सुविधा प्रदान कर सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल पुलिस (Himachal Police) बेहतरीन कार्य कर रही है और किन्नौर व लाहुल-स्पीति जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अतिरिक्त उनमें विश्वास पैदा करने के लिए कार्य किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियों, भारतीय सेना और आईटीबीपी (ITBP) द्वारा भी सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों में सुरक्षा और विश्वास पैदा करने के लिए भी इस प्रकार के सतत् प्रयासों की आवश्यकता है।
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राज्यपाल ने कहा कि कुल्लू (Kullu) जिला के मनाली (Manali) से लाहुल जिला के कैलंग को जोड़ने वाले रोहतांग दर्रे के नीचे बन रही 3,978 मीटर लंबी अटल सुरंग का निर्माण कार्य निकट भविष्य में पूरा होने की संभावना है। इस सुरंग के कार्यशील होने से वर्ष भर मनाली-लेह मार्ग पर यातायात संचालित रहेगा जिससे सड़क परिवहन में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इस सुरंग के सामरिक महत्व के कारण गुप्त सूचना, रक्षा और रख-रखाव आदि के अग्रिम समुचित प्रबंध करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि इन सुझावों पर अमल किया जाता है तो भारत-तिब्बत/चीन सीमा पर भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी तथा स्थानीय लोगों में विश्वास पैदा होगा।