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पहाड़ की जड़ी-बूटियों पर आधारित Product का प्रचार कर सुदृढ़ की जा सकती है Himachal की आर्थिकी
Last Updated on May 22, 2020 by
शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Governor Bandaru Dattatreya) ने शोध और तकनीकी पर आधारित जैव विविधता के दोहन पर बल देते हुए कहा है कि हिमालययी क्षेत्र की जड़ी-बूटियों पर आधारित उत्पाद को प्रचारित कर राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सकता है। यह बात राज्यपाल ने आज विश्व जैव विविधता दिवस (World Biodiversity Day) के अवसर पर राजभवन में वन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के आने से दुनिया को पता चल गया कि हम प्रकृति से दुश्मनी नहीं ले सकते हैं। ‘‘अगर आप प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति आप को नुकसान पहुंचाएगी, यह निश्चित है।’’
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राज्यपाल बोले – प्रकृति का संतुलन बहुत जरूरी
राज्यपाल ने कहा कि तीन चीज़ों ने जीवन को ही बदल दिया, जिनमें जनसंख्या का बढ़ना, शहरीकरण और औद्योगिकरण शामिल है। हमें विकास के पथ पर तो आगे बढ़ना है लेकिन प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को कम करना पड़ेगा क्योंकि, प्रकृति का संतुलन बहुत जरूरी है। हम विकास के नाम पर वन क्षेत्र को खत्म नहीं कर सकते हैं। दत्तात्रेय ने कहा कि सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति से छेड़छाड़ का ही परिणाम है।
उन्होंने कहा कि जैव विविधता अधिनियम (Biodiversity Act) को निचले स्तर पर कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। उन्होंने विभागीय स्तर पर तैयार किए गए उत्पादों के लिए सराहना की तथा विभागीय तालमेल से इस कार्य को और आगे बढ़ाने पर बल दिया। इस अवसर पर, डॉ अजय, मुख्य प्रधान अरण्यपाल तथा वन तथा डीसी राणा, निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने राज्यपाल को विभाग की गतिविधियों की जानकारी दी तथा जैव विविधता को लेकर किए जा रहे कार्यों से अवगत करवाया। गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। राज्यपाल के सचिव राकेश कंवर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।