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Protest: धर्मशाला। प्रदेश की पंचायतों में विकास कार्यों को मूर्तरूप देने में अहम भूमिका निभाने वाले ग्राम रोजगार सेवक सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रहे हैं। एक हजार से अधिक ग्राम रोजगार सेवक पंचायत कार्यों में मनरेगा के तहत सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ग को दैनिक भोगी बना दिया गया है, लेकिन रोजगार सेवकों को मलाल है कि उनकी ओर से उठाई गई मांगों पर सरकार ने कोई गौर नहीं किया गया। ग्राम रोजगार सेवक सरकार से इस वर्ग के लिए नीति बनाने की मांग की रहे हैं। अपनी मांगों पर कार्रवाई न होने के विरोध स्वरूप 26 मई से ग्राम रोजगार सेवकों ने कलम छोड़ो हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि ग्राम रोजगार सेवकों की हड़ताल की वजह से प्रभावित होने वाले विकास कार्यों के लिए पंचायती राज विभाग और राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
ग्राम रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष साहिब सिंह ने बताया कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश है कि समान कार्य पर समान वेतन दिया जाए। ग्राम रोजगार सेवकों से भी काम तो पंचायत सचिव का लिया जा रहा है, जबकि उन्हें वेतन दैनिक भोगी का दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार की नीति अनुसार सात वर्ष का दैनिक भोगी का कार्यकाल पूरा होने के बाद ग्राम रोजगार सेवकों को नियमित सचिवों के समान वेतन देने का प्रावधान तो है, लेकिन इस वर्ग को नियमित करने की नीति नहीं है। ऐसे में ग्राम रोजगार सेवकों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है।
जिलाध्यक्ष ने बताया कि शुरूआत में इस वर्ग को मनरेगा कार्यों में कमीशन दी जाती थी, जबकि वर्ष 2014 से इस वर्ग को 5000 रुपए वेतन देना शुरू किया गया था। उन्होंने बताया अधिकतर ग्राम रोजगार सेवकों का कार्यकाल 8 से 9 वर्ष हो चुका है, जबकि इस वर्ग की दिहाड़ी में पहली बार 10 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। पहले इस वर्ग को 242 रुपए दैनिक दिए जाते थे, जिसे अब 252 किया गया है, यह बढ़ोतरी ऊंट के मुंह में जीरे समान है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले नियुक्त ग्राम रोजगार सेवकों को मात्र 1000 रुपए वेतन दिया जा रहा है, जो कि नाकाफी है।
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