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जीएसटी में अगले महीने होगा बड़ा बदलाव, 5 फीसदी स्लैब को आठ करने की तैयारी
अगले महीने से जीएसटी (GST) में बदलाव देखने को मिल सकता है। मई में जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली है। इस बैठक में जीएसटी से संबंधित नियमों (GST Rules) में बदलाव की घोषणा हो सकती है। दरअसल, पांच फीसदी की टैक्स स्लैब (Tax Slab) को समाप्त करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
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इस पर जीएसटी की बैठक में चर्चा हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिक खपत वाले प्रोडक्ट्स (Products) को 3 प्रतिशत और बाकी को 8 प्रतिशत के स्लैब में डाला जा सकता है। इससे सरकार को रेवेन्यू जेनरेट (Revenue Generated) करने में मदद मिलेगी और अन्य राज्यों को मुआवजे के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं पड़ेगा।
वर्तमान में जीएसटी एक चार स्तरीय संरचना है
बता दें कि वर्तमान में जीएसटी एक चार स्तरीय संरचना है, जिस पर क्रमशः 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी की दर से टैक्स (Tax) लगता है। आवश्यक वस्तुओं को या तो सबसे कम स्लैब में छूट या टैक्स लगाया जाता है, जबकि विलासिता और अवगुण वस्तुओं पर हाई टैक्स स्लैब (High Tax Slab) लागू होता है। लग्जरी और सिन गुड्स पर सबसे अधिक 28 फीसदी स्लैब के ऊपर सेस लगता है।
इस पर टैक्स कलेक्शन (Tax Collection) उपयोग जीएसटी रोलआउट होने के बाद राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। इसके अलावा सोने और सोने के आभूषणों (Gold Jewelery) पर 3 फीसदी टैक्स लगता है। वहीं, अभी बिना ब्रांड वाले और बिना पैकेज वाले खाद्य पदार्थ और डेयरी वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। सूत्रों के मुताबिक, रेवेन्यू (Revenue) बढ़ाने के लिए परिषद कुछ गैर खाद्य वस्तुओं को छूट लिस्ट से हटाकर 3 फीसदी स्लैब रख सकती है।
5 फीसदी स्लैब को खत्म किया जाएगा
सूत्रों ने कहा कि 5 फीसदी स्लैब को 7 या 8 या 9 फीसदी तक बढ़ाने के लिए चर्चा चल रही है। हालांकि, अंतिम फैला जीएसटी परिषद (GST Council) द्वारा लिया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्यों दोनों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। एजेंसी ने कहा कि टैक्स स्लैब को 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने से अतिरिक्त 1.50 लाख करोड़ वार्षिक राजस्व प्राप्त हो सकता है।
गणना के अनुसार, एक फीसदी की बढ़ोतरी से सालाना 50,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है। इसमें मुख्य रूप से पैकेज्ड खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इसके अलावा, मंत्रियों का समूह जीएसटी को तीन ण्स्तरीय संरचना बनाना चाहता है, जिसमें क्रमशः 8 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी की दरों में संशोधन होगा।