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Himachal के शक्तिपीठों में गुप्त नवरात्र शुरू, पर बंद रहेंगे मंदिरों के कपाट
Last Updated on June 22, 2020 by Vishal Rana
शिमला/बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी सहित प्रदेश के सभी शक्तिपीठों में आज सोमवार से आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष के गुप्त नवरात्र प्राचीन परंपराओं के मुताबिक विधि पूर्वक पूजा-अर्चना के साथ शुरू हो गए हैं। हालांकि कोरोना महामारी के चलते प्रदेश के सभी शक्तिपीठों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं, बावजूद इसके गुप्त नवरात्र में पुजारी नौ दिन तक मंदिरों में विशेष पूजा करेंगे। इसके लिए तमाम तैयारियां पूरी कर ली हैं।
इन गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान में कितने पुजारी भाग लेंगे यह अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने जाने पर पूर्ण प्रतिबंध ही रहेगा। बता दें कि गुप्त नवरात्र में जहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु माता जी के दर्शनों के लिए पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार और अन्य प्रदेशों से पहुंचते थे और यहां पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यहां पर श्रद्धालुओं के आने पर पूर्ण रूप से मनाही है, जिसके चलते बाजारों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। शहर की दुकानें भी बंद हैं, क्योंकि यहां का ज्यादातर कारोबार श्रद्धालुओं और पर्यटकों पर ही निर्भर करता है।
क्या है गुप्त नवरात्र का महत्व
हिमाचल प्रदेश में मां के शक्तिपीठों में साल भर में पांच नवरात्र का आयोजन किया जाता है। चैत्र माह के नवरात्र मुख्यत: मार्च-अप्रैल में होते हैं। श्रावण अष्टमी का आयोजन जुलाई-अगस्त में जबकि अश्विन नवरात्र सितंबर-अक्टूबर में होते हैं। इसके इलावा फरवरी व जून में विशेष गुप्त नवरात्रों का आयोजन होता है। गुप्त नवरात्र सिद्धि प्राप्त करने व पूजा पाठ, जप, तप के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इन्हीं नवरात्र में बड़े-बड़े साधक यज्ञ अनुष्ठान करके मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले जप में एक मंत्र का जाप करने से लाखों गुणा लाभ मिलता है।
पुजारियों की मानें तो साल में दो बार होने वाले गुप्त नवरात्र खास महत्व रखते हैं।