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पुनीत शर्मा/चंबा। आसमान से पड़ती तेज गर्मी और पैदल स्कूल (School) को जाते बच्चे। जी हां इन दर्जनों स्कूली बच्चों के लिए सुलभ शिक्षा के मायने यही हैं। 38 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच पगडंडियों को नाप शिक्षा पाने जाना देश के इन नौनिहालों की मजबूरी है।’
सरकार के सुलभ शिक्षा के दावे यहां चिराग ले ढूंढने से भी नहीं दिखते तो वहीं सबको शिक्षा का अधिकार (Right to Education) का नारा यहां गुम नजर आता है। आधा दर्जन से ज्यादा गांव के बच्चों के लिए यहां शिक्षा सिरदर्द बन गई है।
जिला चंबा (Chamba) के भट्टियात हल्के के रायपुर क्षेत्र के सैकड़ों लोग आज भी सड़क की राह देख रहे हैं। रुहणी, सामू, गोधरा, तलाई, गदेट,कलाबण, सियुंण तथा लड़ोई गांव के दर्जनों बच्चे रोजाना 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल (School) पहुंच रहे हैं। किसी के बीमार होने की स्थिति में यहां से आज भी मरीज को पालकी से सड़क तक पहुंचाना यहां के लोगों की मजबूरी बन गई है। वहीं, प्रसव जैसे मामलों में गर्भवती महिलाओं को भी पालकी से अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
इन सभी गांवों को सड़क (Road) न होने के कारण लोगों को पिछले कई दशकों से समस्या का सामना करना पड़ रहा। सरकारें आई और चली गईं, लेकिन यहां के सैकड़ों ग्रामीणों की तकदीर न बदल पाई। लिहाजा लोग तथा स्कूली बच्चे कभी स्वास्थ्य तो कभी शिक्षा के लिए तपती गर्मी में मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं। उधर, इस संदर्भ में जब स्थानीय विधायक विक्रम जरयाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस सड़क (Road) के लिए विभाग औपचारिकताएं पूरी की करने में जुटा हुआ है। जरयाल ने कहा कि जल्द ही इन सभी गांवों को सड़क (Road) से जोड़ कर यहां का विकास किया जाएगा।
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