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चंडीगढ़। हरियाणा कला परिषद की बैठक में हरियाणवी फिल्मों का निर्माण सरल व आमजन की समझ में आने लायक भाषा में बनाने बारे जानकारी दी गई। इस बैठक में हरियाणवी फिल्मों से जुड़े 145 फिल्मकारों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता ‘पगड़ी‘ फिल्म के निर्माता-निर्देशक राजीव भाटिया ने की। बैठक के दौरान ‘सतरंगी‘ फिल्म के निर्देशक संदीप शर्मा ने कहा कि हरियाणवी फिल्में ऐसी बोली में बननी चाहिएं जो आमजन की समझ में आए। साथ ही यह भी कहा कि, बोली की गूढ़ता उचित तो है परन्तु फिल्मों को आमजन तक पहुँचाने में यह साध्य नहीं है। इसलिए बोली का सरलीकरण होने से फिल्में अच्छी आय भी देंगी। इस दौरान स्टेट यूनिर्वसिटी ऑफ परफोर्मिंग विजुअल आर्ट, रोहतक की छात्रा सुशीला सहारण द्वारा निर्मित ‘दायरा‘ फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। अभिनेत्री, मेघना मलिक ने चिन्तन बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस क्षेत्र में हरियाणा की बेटियों को अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या बेटियों के बिना हरियाणवीं फिल्में बन सकती हैं या फिर हरियाणा के बेटे ही बेटियों का रोल निभायेंगे। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि बेटियों के लिए कोई विशेष प्रावधान किया जाए।
लगान व गंगाजल जैसी हिट बॉलीवुड फिल्मों के माध्यम से चर्चा में आए अभिनेता यशपाल शर्मा ने कहा कि, यदि कोई अच्छा कार्य कर रहा है तो मुक्त कंठ से उसको अच्छा कहना चाहिए। राजनीति से प्रेरित होकर अच्छे कार्यों को नकारना यह दूषित मानसिकता का परिचायक है। सरकार द्वारा पहली बार इस प्रकार का प्रयोग किया गया है, निश्चित ही इसके सार्थक परिणाम निकलेंगे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए फिल्म ‘पगड़ी‘ के निर्माता -निर्देशक राजीव भाटिया ने कहा कि, एक साथ मिल-बैठ कर चिन्तन करने से ही समस्याओं का समाधान मिलता है। उन्होंने हरियाणा कला परिषद के अधिकारियों से निवेदन किया कि सभी फिल्मकारों से आए सुझावों का ड्राफ्ट बनाकर अतिशीघ्र मुख्यमन्त्री को भेजा जाए, ताकि सुझावों को फिल्म-नीति में शामिल किया जा सके। इस चिन्तन बैठक में प्रमुख रूप से संजय घई, अरविन्द स्वामी, रघुविन्द्र मलिक, अनूप लाठर, गजेन्द्र फौगाट, राज चैहान, हरविन्द्र मलिक, राम निवास शर्मा, रामफल चहल, सुधीर शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र आर्य, दिव्या शाह, रामकेश, राजूमान, मोहनकान्त, विरेन्द्र कौशिक, निशान्त प्रभाकर उपस्थित रहे।
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