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टीचरों की कमी : हाईकोर्ट में फिर पेश होंगे शिक्षा सचिव, हलफनामे से कोर्ट असंतुष्ट
Update: Thursday, September 13, 2018 @ 12:19 PM
शिमला। सरकारी स्कूलों में टीचरों की कमी पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को फिर पेश होने को कहा है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि शिक्षा सचिव का हलफनामा पिछले आदेश के अनुसार नहीं है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात शिक्षा सचिव से पूछा था कि शिक्षा विभाग में टीचरों के खाली पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इससे पहले कोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा था कि सरकारी स्कूलों में टीचरों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। यदि कदम उठाए गए हैं तो किस स्टेज तक पहुंचे हैं। शिक्षा सचिव ने पिछले शपथपत्र में कहा था कि स्कूलों में टीचरों की कमी की एक वजह अदालतों में लम्बित पड़े मामलों का होना भी है। इस पर कोर्ट ने यह भी पूछा था कि वह कौन से मामले हैं, जिनके कारण सरकार स्कूलों में रिक्त पड़े पदों को नहीं भर पा रही है।
मांगी थी ये जानकारियां
- स्कूलों में हर विषय के अनुसार रिक्त पदों की संख्या कुल कितनी है।
- जिलावार स्कूलों की संख्या कुल कितनी है।
- कितने पदों को भरने के लिए HPSSC को मांग भेजी गई है।
- कितने समय में खाली पड़े पदों को भरा जाएगा।
बजट का 23 फीसदी हिस्सा हो जाता है लैप्स
इस मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि शिक्षकों की तनख्वाह के कुल बजट का 23 प्रतिशत हिस्सा केवल इसलिये लैप्स हो जाता है, क्योंकि सरकार ने पदों को भरा ही नहीं है। कोर्ट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष को भी व्यक्तिगत शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा कि शिक्षकों के पदों को भरने हेतु कितने दिनों में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आयोग ने कोर्ट को बताया था कि भाषा अध्यापक के 122, ड्राइंग मास्टर के 77 और शास्त्री के 234 पदों को भरने के लिए सरकार को सिफारिश भेजी गई है।