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Health department: धर्मशाला। सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां लिखने वाले डॉक्टर्स के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग सख्त हो गया है। सरकारी अस्पतालों में डाक्टर्स द्वारा मरीजों को जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवाइयां लिखने के मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ ने विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर पूछा है कि जेनेरिक दवाइयां लिखने में समस्या कहां आ रही है। ऐसे में विभाग ने अपना मत स्पष्ट किया है कि यदि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवाइयां मरीजों को लिखते हैं तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ ने विभाग के अधिकारियों से यह भी पूछा है किन-किन जिलों में ऐसी समस्या है, उसकी जानकारी भी मांगी गई है।अधिकतर मरीज सस्ते इलाज और नि:शुल्क दवाइयां मिलने के चलते उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं। ऐसे में मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाइयां डॉक्टर्स द्वारा लिखी जाएंगी तो मरीज सरकारी अस्पतालों में जाने से परहेज करेंगे हालांकि सरकार की ओर से भी मरीजों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के निर्देश सरकारी अस्पतालों के डाक्टर्स को जारी किए गए हैं, इसके बावजूद जिला के कई क्षेत्रों में डाक्टर्स द्वारा ब्रांडेड दवाइयां लिखने के मामले सामने आ रहे हैं, जिनकी शिकायतें सरकार और स्वास्थ्य विभाग को भी मिल रही हैं। इन्हीं शिकायतों पर संज्ञान लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा है।
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद शांता कुमार भी मरीजों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के मामले को उठा चुके हैं। शांता कुमार ने इस बारे प्रदेश सरकार को भी अवगत करवाया है, जिससे कि प्रदेशवासियों को सरकारी अस्पतालों में सस्ता उपचार उपलब्ध हो सके। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर भी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स को, मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने के निर्देश दे चुके हैं, इसके बावजूद कुछ जगहों पर डाक्टर्स द्वारा मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां लिखी जा रही हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन डायरेक्टर पंकज राय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ ने पत्र जारी करके डाक्टर्स द्वारा मरीजों को जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवाइयां लिखने के मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों से जवाब मांगा है।
पत्र में पूछा गया है कि प्रदेश में ऐसी समस्या कहां-कहां पेश आ रही है। जेनेरिक के स्थान पर ब्रांडेड दवाइयां लिखने वाले डॉक्टर्स पर नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है।
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