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शिमला। प्रदेश में पेड़ कटान मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हिमाचल को पिछली सुनवाई के दौरान हल्की राहत तो दे दी थी, लेकिन सोमवार को कोर्ट ने सरकार से सड़कों के संदर्भ में जवाब मांगा। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पीसीसीएफ अजय शर्मा (PCCF Ajay Sharma) ने प्रदेश का पक्ष रखा और दूसरा शपथ पत्र (Affidavit) भी दायर किया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि निर्माणाधीन एवं पाइपलाइन में सड़कें कितने गांवों को जोड़ेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए सवाल पूछा क्योंकि प्रदेश सरकार ने सड़क निर्माण के दौरान पेड़ कटान की मंजूरी देने की अपील इस शपथ पत्र में की है। ऐसे में अब इस मामले पर अगली सुनवाई तीन मई यानी शुक्रवार को होगी।उल्लेखनीय है कि बीते 15 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को हल्की राहत देते हुए गैर वनीय क्षेत्रों में एफआरए में हल्की छूट देते हुए निर्माण कार्य को जारी रखने के आदेश दिए थे।
हिमाचल (Himachal) में जिन प्रोजेक्टों को सरकार ने एफआरए के तहत मंजूर करवा रखा है, उन प्रोजेक्टों में काम शुरू करने के लिए पेड़ कटान किया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई दे दौरान राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए सड़कों निर्माण के दायरे में आने वाले पेड़ों को काटने की अपील भी की। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की दलीलों को सुनने के बाद सरकार से पूछा है कि हिमाचल में तैयार होने वाली नई सड़कें कितने गांव को जोड़ेंगी। ऐसे में अब तीन मई को होने वाली सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार (State Government) को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह बताना होगा कि प्रदेश के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली इन सड़कों के निर्माण में कितने पेड़ कट सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में यह भी कहा है कि एफआरए में मंजूर सामुदायिक केंद्र के प्रोजेक्टों पर काम नहीं हो सकेगा। इस पर पेड़ कटान की रोक आगे भी जारी रहेगी। राज्य सरकार की ओर से इस मसले में अलग से जवाब मांगा है कि किस तरह की भूमि पर इसका निर्माण हो रहा है। इसके निर्माण में कितनी भूमि लगेगी और कितने लोगों को इसका लाभ होगा। इस मामले पर अगली सुनवाई तीन मई को होगी।
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