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शिमला। सीएम वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित राज्य योजना बोर्ड की बैठक में वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 5700 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना स्वीकृत की गई। हालांकि, नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा पंचवर्षीय तथा वार्षिक योजनाओं की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है, परन्तु राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए वार्षिक योजना की प्रक्रिया को ज़ारी रखने का निर्णय किया है। विधायकों की प्राथमिकता बैठकों तथा आम जनता द्वारा दिए गए सुझावों के पश्चात गत वर्ष की 5200 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना में 9.61 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए वर्ष 2017-18 की वार्षिक योजना को सामाजिक सेवा क्षेत्र, परिवहन, कृषि तथा जल विद्युत को अतिरिक्त प्राथमिकता के साथ स्वीकृति दी गई। सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद सरकार प्रदेश के तीव्र, समग्र तथा सत्त विकास के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा तैयार किए गए चुनावी घोषणा पत्र के सभी वादों को पूर्ण करने के लिए कृत संकल्प है।
सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए 2213 करोड़ रुपये तथा परिवहन एवं संचार के लिए 1073 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रस्ताव पेश किया गया। तीसरी प्राथमिकता के रूप में कृषि एवं सम्बद्ध सेवा क्षेत्र के लिए 714 करोड़ रुपये व्यय करना प्रस्तावित किया गया। विकास कार्यसूची में प्रमुख जल विद्युत् क्षेत्र में चौथी प्राथमिकता के रूप में 683 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रस्ताव पेश किया गया। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति उप-योजना के लिए 1436 करोड़ रुपये, जनजातीय उप-योजना के लिए 513 करोड़ रुपये तथा पिछड़ा क्षेत्र उप-योजना के लिए 70 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रस्ताव पेश किया गया। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार विज़न डाक्यूमेंट-2030, सात वर्षीय विकास रणनीति तथा तीन वर्षीय कार्य योजना को तैयार कर रही है। राज्य सरकार ने विश्व स्तर पर इन पहलों में सम्मिलित होने के दृष्टिगत 2016-17 के बजट में सत्त विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ 2022 तक इनसे आगे विकास करने की रणनीति बनाई, जो कि सत्त विकास के लिए बनाई संयुक्त राष्ट्र की वर्ष 2030 की कार्यसूची से भी पहले तैयार की गई थी।
सीएम ने कहा कि स्कूलों में कर्मियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में बायोमैट्रिक प्रणाली लागू की जाएगी। इसके अतिरिक्त, स्कूलों में निदेशालय जांच की भी मुख्य भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण तथा दूर-दराज क्षेत्रों के स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति शहरी क्षेत्रों से बेहतर है। उन्होंने मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने पर बल दिया। हालांकि, राज्य में शिशु लिंग अनुपात 972/1000 है, जो कि राष्ट्रीय अनुपात 943/1000 से कहीं बेहत्तर है, फिर भी हमें इसमें सुधार करना चाहिए। सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के साथ लगते निजी क्लीनिकों की पीएनडीटी (जन्म से पूर्व लिंग परीक्षण) टैस्ट करवाने के संबंध में जांच होनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि लिंग परीक्षण तकनीकों पर लगाम लगाने के लिए हमीरपुर, कांगड़ा तथा ऊना ज़िला में प्रयोग के तौर पर एक परियोजना आरम्भ की गई थी।
उन्होंने कहा कि पीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत गैर कानूनी टैस्ट करवाने के लिए हाल ही में एक चिकित्सक को जुर्माना तथा एक साल की सज़ा हुई है। योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर ने सीएम का स्वागत किया तथा कहा कि वार्षिक योजना प्रस्ताव वार्षिक बजट 2017-18 के अधीन लाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान सदस्यों की योग्यता पर भी विचार किया गया।
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