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लेखराज धरटा/शिमला। हाईकोर्ट (High Court) ने किरतपुर-मनाली नेशनल हाई-वे (Kiratpur-Manali National Highway) के निर्माण कार्य को पूरा न करने पर नेशनल हाई-वे अथॉरिटी की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि नेशनल हाई-वे (National Highway) के निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूरा करने के जगह नेशनल हाई-वे अथॉरिटी जानबूझकर इसे जटिल बना रही है और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। खंडपीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का समय आ गया है।
कोर्ट ने पाया कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी कोर्ट के पिछले आदेशों की अनुपालना करने में भी नाकाम रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि किरतपुर से नेरचौक तक नेशनल हाई-वे के निर्माण को पूरा करने के लिए नेशनल हाई-वे अथॉरिटी उत्तरदायी है। इसी कारण कोर्ट ने उसे 26 दिसंबर को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था। कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में स्पष्ट किया था कि यदि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी किरतपुर से नेरचौक, नेरचौक से पंडोह बाईपास और पंडोह बाईपास से टकोली तक नेशनल हाई-वे के निर्माण को पूरा करने बारे सारणीबंद्ध प्रोपोजल कोर्ट के समक्ष पेश नहीं करती है तो उस स्थिति में अदालत को मजबूरन नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के चेयरमैन और केंद्रीय सड़क मंत्रालय के सचिव को तलब करना पड़ेगा।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी इस मामले को सुलझाने के बजाए जटिल बनाने का प्रयास कर रही है और अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रही है। नेशनल हाई-वे अथॉरिटी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के आग्रह पर हाईकोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित कर दी।
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