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हाईकोर्ट के आदेश: एमसी शिमला की बैठकों में भाग नहीं ले पाएंगे पार्षद संजीव सूद
Last Updated on July 13, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने नगर निगम शिमला में सरकार द्वारा मनोनीत पार्षद संजीव सूद पर नगर निगम की बैठकों में भाग लेने से रोक लगा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राकेश कुमार द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए। याचिका में दिये तथ्यों के अनुसार मनोनीत पार्षद संजीव सूद (Councilor Sanjeev Sood) ने वर्ष 2009 में अवैध निर्माण करने के मामले में नगर निगम को हलफनामा दिया था कि वह स्वीकृत मैप के अलावा किया गया अतिरिक्त निर्माण हटा देगा। परंतु वर्ष 2009 से 2019 तक उसने अवैध निर्माण (illegal construction) नहीं हटाया। प्रार्थी राकेश कुमार ने वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज की थी जिसमें कार्यवाही के दौरान प्रार्थी के आरोपों को सही पाया गया एवं पार्षद संजीव सूद को डिफाल्टर घोषित किया गया।
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प्रार्थी के अनुसार पार्षद को डिफाल्टर घोषित करने बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई और वह नवंबर 2019 से नगर निगम शिमला की सभी बैठकों में भाग ले रहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि जब पार्षद संजीव सूद को वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा अयोग्य करार दे दिया गया तो इसके बावजूद वह कैसे नगर निगम की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। कोर्ट ने नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) को कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान मनोनीत पार्षद संजीव सूद द्वारा निगम की बैठकों में भाग लेने संबंधि संपूर्ण रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष पेश करे। कोर्ट ने सरकार से भी 4 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
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