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हाईकोर्ट ने दिए मानव भारती विवि के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में दायर किए चालान पेश करने के आदेश
शिमला। हाईकोर्ट ने मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में दायर किए गए चालान को पेश करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जांच में सही पाई गई डिग्रियों की सूची भी कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए। कोर्ट को बताया गया था कि फर्जी डिग्री से जुड़े आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष चालान पेश कर दिया गया है। इससे पहले प्रदेश हाईकोर्ट मानव भारती विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को जारी किए डिटेलड मार्क्स प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने वाली जांच कमेटी की रफ्तार पर फटकार भी लगा चुका है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया था कि फर्जी डिग्री घोटाला सामने आने के 3 साल बाद भी जांच कमेटी छात्रों को दी गई प्रमाणिक डिग्रियों और फर्जी डिग्रियों को नहीं छांट पाई।
उच्चतर शिक्षा के लिए दाखिला भी नहीं मिल पा रहा
कोर्ट ने जांच कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह अदालत प्रभावित छात्रों को दशकों तक अपनी मेहनत से हासिल की गई डिग्रियों का इंतजार नहीं करने देगी। लगभग 2300 डिग्रीधारकों में से 250 के लगभग छात्रों ने अदालत को पत्र लिख कर या अपनी निजी याचिकाएं दायर कर हाईकोर्ट का रुख कर अपनी वास्तविक डिग्रियां दिलवाने की गुहार लगाई है। प्रार्थियों का कहना था कि उनके नाम विश्विद्यालय की ओर से स्पॉन्सर न होने के कारण उन्हें उच्चतर शिक्षा के लिए दाखिला भी नहीं मिल पा रहा है। उन जैसे सैंकड़ों निर्दोष छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है और उनकी स्थिति को समझने में कोई भी प्राथमिकता नहीं दे रहा। प्रार्थियों ने जांच कमेटी द्वारा तय मापदंडों को काफी सख्त बताते हुए कहा कि उन मापदंडों के आधार पर डिग्रियों को हासिल बेहद मुश्किल है। कोर्ट के आदेशानुसार कमेटी को ऐसे मापदंड तय करने के आदेश दिए गए थे कि जिनके आधार पर छात्रों को दस्तावेजों की प्रतिलिपियां दी जा सके।
कमेटी गठित करने का आदेश दिया था
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने मानव भारती विश्विद्यालय के फर्जी डिग्रियों से संबंधित दस्तावेजों की जांच और उनका सत्यापन करने के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। छात्रों का कहना था कि डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट का सत्यापन ना होने से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है। विश्वविद्यालय पर फर्जी डिग्रियां बांटने का आरोप है। विशेष जांच टीम मामले की पहले से ही पड़ताल कर रही है। इसलिए विश्वविद्यालय से पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां और डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहे हैं। जांच कमेटी गठित होने के बाद से सैंकड़ों विद्यार्थियों ने अपने प्रमाणपत्रों को जांचने के लिए आवेदन किए हैं।
प्रार्थियों द्वारा दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मानव भारती विश्वविद्यालय द्वारा बरती कथित अनियमितताओं के चलते उनका भविष्य धूमिल हो रहा है क्योंकि उन्होंने वर्ष 2019, 2020 और 2021 में जो परीक्षाएं उत्तीर्ण की है उनसे संबंधित उन्हें मानव भारती की ओर से प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं। जब छात्रों ने इस बाबत मानव भारती विश्वविद्यालय से पूछा तो उन्हें यह बताया गया कि मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने के चलते विश्वविद्यालय का तमाम रिकॉर्ड एसआईटी के पास चला गया है और वह उनको उनकी परीक्षाओं से जुड़े प्रमाण पत्र जारी करने में असफल है। मानव भारती की ओर से प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल किए गए जवाब में भी यह आग्रह किया गया है कि पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वह इस मामले से संबंधित जांच को जल्द से जल्द पूरा करें ताकि संबंधित छात्रों को उनकी डिग्री, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज समय पर जारी किए जा सके। मामले पर सुनवाई 16 अगस्त को निर्धारित की गई है।
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