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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताए कि राज्य में फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट के उल्लंघन कर कितनी सड़कें बनी हैं। कोर्ट ने इस संबंध में मुख्य सचिव से जिलावार सभी सड़कों के नाम समेत डिटेल देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए। खंडपीठ ने हलाइला गांव के अनंतराम नेगी द्वारा हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र को पीआईएल मानते हुए दायर हुई याचिका का निपटारा करते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिए कि वह अपने शपथ पत्र में यह भी बताए कि राज्य सरकार ने फारेस्ट कंजरवेशन एक्ट के उल्लंघन कर बनी सड़कों को नियमित करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से जरूरी इजाजत लेने को क्या-क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने यह सारी जानकारी दो सप्ताह के भीतर देने को कहा है।
कोटखाई के हलाइला गांव के अनंतराम नेगी ने हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर हिमरी पंचायत में पेड़ों के अवैध कटान का मामला उठाया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि वहां पर कुछ लोग सड़क के लिए पेड़ों का अवैध कटान कर रहे हैं। पत्र में उन्होंने थरमला गांव से बेरटू वाया गुठान बन रही सड़क के विशेष रूप से जिक्र किया था और लिखा था कि यह सड़क फारेस्ट कंजरवेशन एक्ट के उल्लंघन कर बन रही है। याचिकाकर्ता ने शिमला जिले में कई स्थानों पर वन भूमि पर बागीचे खड़े करने का मामला भी उठाया था। कोर्ट ने इस पत्र को पीआईएल मानते हुए उक्त आदेश दिए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि जहां तक वन भूमि में पेड़ काटकर उस पर अवैध कब्जा करने की बात है, इसे लेकर पहले ही कोर्ट में मामला लंबित है। ऐसे में इस याचिका पर अवैध कब्जों के मामले में कोई निर्देश देने की जरूरत नहीं है।
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