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शिमला। राज्य में सरकारी और वनभूमि पर किए गए अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए नीति बनाने को बनी हाईपावर कमेटी की आज बैठक हुई। राजस्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई विभागों के उच्चाधिकारी पहुंचे ही नहीं थे। इससे राजस्व मंत्री का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने तो यहां तक कहा दिया कि जब अधिकारी बैठक को लेकर गंभीर ही नहीं हैं तो यह कैसी हाईपावर कमेटी है।
उन्होंने बैठक में उच्च स्तर के बजाय निचले स्तर के अफसरों के आने पर कड़ा एतराज जताया। बैठक में आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, सीपीएस नंद लाल, सीपीएस रोहित ठाकुर, विधायक मोहनलाल ब्राक्टा आदि भी मौजूद थे। फिर दिन नेताओं ने कौल सिंह ठाकुर को शांत किया और फिर बैठक हुई।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में कौल सिंह ने कहा कि उन्हें सिर्फ अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व तरूण श्रीधर ने ही आज की बैठक में न आ पाने की बात कही थी, क्योंकि वे आवश्यक कार्य से दिल्ली गए हैं। बाकी अधिकारियों ने तो बैठक में न आने की सूचना देना तक गंवारा नहीं समझा। बताते हैं कि बैठक वन विभाग के मुखिया भी नहीं आए थे और उनका ही आना आज की बैठक में अहम था। क्योंकि उनसे ही कमेटी के सदस्यों को वनभूमि पर अवैध कब्जे की जानकारी मिलनी थी। लेकिन जब वे ही नहीं आए तो ऐसे में बैठक कैसे होगी और जो बात होनी है, वह कैसे हो पाएगी। इसके बाद कौल सिंह कुछ नरम पड़े और फिर हुई। बैठक में सरकारी भूमि पर अवैध रूप से किए गए कब्जों को नियमित करने को लेकर चर्चा हुई। सरकार दस बीघा तक किए गए अवैध कब्जों को नियमित करने की बात कह रही है और इसके लिए ही राजस्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह की अध्यक्षता हाईपावर कमेटी का गठन किया गया था। पिछले माह इस कमेटी की बैठक हुई थी। आज इसकी फिर बैठक बुलाई थी। राज्य में बड़े पैमाने पर किसानों-बागवानों ने सरकारी और वन भूमि पर अवैध कब्जे कर रखे हैं और हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा संग्यान ले रखा है। कोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए अब सरकार दस बीघा से कम भूमि वाले किसानों को राहत देने की बात कह रही है और हाईपावर कमेटी का गठन इस दिशा में उसका एक कदम है।
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