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शिमला। राज्य में सरकारी भूमि पर छोटे किसानों को राहत देने के लिए सरकार जल्द ही एक नीति तैयार करेगी। इस अंतरिम नीति को सरकार हाईकोर्ट को सौंपेगी और उससे आग्रह करेगी कि इस नीति के तहत छोटे किसानों को राहत दी जाए। राजस्व मंत्री ठाकुर कौल सिंह की अध्यक्षता में बनी हाई पावर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में कहा गया कि सरकार अतिक्रमण के खिलाफ है और वह सरकारी व वन भूमि पर बड़े कब्जेधारियों पर कार्रवाई के हक में है, लेकिन छोटे किसान, जिन्होंने किसी मजबूरी के चलते सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, उन्हें मानवता के चलते राहत देना सरकार का दायित्व है।
इस बैठक में वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, सीपीएस नंद लाल, सीपीएस रोहित ठाकुर और विधायक मोहन लाल ब्राक्टा मौजूद थे।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण श्रीधर, सचिव विधि समेत कई अन्य अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में कहा गया कि राज्य के छोटे किसानों बागवानों जिन्होंने अपनी जमीन के साथ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, उन्हें राहत दी जाएगी। सरकार ऐसे किसानों को राहत देगी, जिनके पास दस बीघा से कम भूमि होगी। यानी एक किसान के पास यदि पांच बीघा जमीन है तो उसके सरकारी भूमि पर किए गए अवैध कब्जे से पांच बीघा जमीन दी जाए और इस प्रकार उसके पास दस बीघा जमीन हो जाएगी। सरकार के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक सरकारी भूमि पर 17 हजार से अधिक अवैध कब्जे हैं। इनमें से उन लोगों को सरकार राहत देगी, जिनके पास अधिकतम दस बीघा का अतिक्रमण होगा। आज की बैठक में राहत देने को लेकर नीति बनाने पर विचार हुआ और इसे कैसे लागू किया जा सकता है, उसे लेकर भी चर्च की गई। बैठक में कहा गया कि सरकार की इस संबंध में बनने जा रही अंतरिम नीति को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा और इन्हें राहत देने को कोर्ट से आग्रह किया जाएगा। क्योंकि कोर्ट में अतिक्रमण के कई मामले चल रहे हैं। बैठक में तय किया गया कि सरकार हाईकोर्ट से यह गुहार लगाएगी कि सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण के सभी मामलों को निपटाने के लिए बड़ी बैंच का गठन किया जाए। हाई पावर कमेटी की अगली बैठक 7 फरवरी को होगी।
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