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शिमला। हिमाचल प्रदेश में 2014 से लेकर 15 फरवरी, 2017 तक विभिन्न अपराधों के कुल 2364 मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों में पुलिस इस अवधि के दौरान 2801 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। आज विधानसभा में सरकार ने यह जानकारी दी। बीजेपी सदस्य डॉ. राजीव सहजल के सवाल पर सरकार ने यह लिखित में जानकारी देते हुए कहा कि ड्रग माफिया व नशे के कारोबारी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले कुछ वर्षों में अधिक सक्रिय हुए हैं। जाहिर है कि प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है।
ये अवैध कारोबारी आए दिन नई-नई तरह के नशीले पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं। सरकार ने सदन में लिखित जानकारी दी कि नशे के प्रचलन के संबंध में कोई अध्ययन नहीं हुआ है। ऐसे में इसके सटीक आंकड़े मिल पाना संभव नहीं है। सरकारी तौर पर केवल आपराधिक आंकड़े ही उपलब्ध हैं। पुलिस द्वारा पकड़े गए मादक पदार्थों में चरस अफीम, चूरा पोस्त, स्मैक, ब्राऊन शूगर नशीले कैप्सूल, नशीली दवाइयां और नशीले सीरप आदि शामिल हैं। जानकारी दी गई कि आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और शिमला जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कांगड़ा जिले में इस अवधि के दौरान कुल 476 मामले सामने आए और इन मामलों में 538 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मंडी जिले में 405 मामले दर्ज हुए और इनमें 517 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी प्रकार कुल्लू जिले में 365 मामलों में 434 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि शिमला जिले में 312 मामलों में 356 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सबसे कम मामले लाहौल-स्पीति जिले में आए हैं। वहां इस अवधि के दौरान दो मामले दर्ज हुए हैं और इसमें 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। उधर, सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि नशे के खिलाफ सरकार ने मुहिम चलाई है और इसकी नतीजा है कि नशे के खिलाफ मामले ज्यादा पकड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं और हर जिले में विशेष अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि भांग की खेती को भी नष्ट किया है और इसके नतीजे आ रहे हैं और इसकी उपज कम हुई है।
आवारा कुत्तों की समस्याः सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला
हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में नशाखोरी बड़ी है। सीएम ने कहा कि ये जो आंकड़े हैं इनके बढ़ने का कारण है कि पुलिस ने सकती बरती है । सीएम ने कहा कि सरकार सख्ती से ड्रग एवं ड्रग माफिया को जड़ से उखाड़ने के पूरे प्रयास कर रही है। इस दौरान भांग के पौधों को उखाड़ा गया है और इससे प्रदेश में भांग और इससे बनने वाले उत्पादों में कमी आई है। इसके अतिरिक्त सीएम ने कहा कि आवारा कुत्तों से संबंधित सवाल भी आज विधानसभा में लाया गया। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या एक गंभीर मामला है और इसको लेकर कोई एनजीओ सुप्रीम कोर्ट में मामला लेकर गया है और वह विचाराधीन है । उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने शिमला में आवारा कुत्तों के लिए एक भवन बनाया था। लेकिन, एक्ट की सीमाओं और कोर्ट के चलते इस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया जा सकता।
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