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शिमला। बीजेपी प्रदेश प्रमुख प्रवक्ता डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा द्वारा बेरोजगारी भत्ते पर दिया गया बयान षड्यंत्र से भरा हुआ दिखाई देता है। बीजेपी का यह स्पष्ट मानना है कि सीएम, बाली, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और फिर आनंद शर्मा के यह विरोधाभासीय बयान इन सबके द्वारा मिली जुली योजना का हिस्सा है। क्योंकि साढ़े 4 साल तक कांग्रेस सरकार बेरोजगारी भत्ता नहीं दे पाई और आने वाले चुनावों में इसका कांग्रेस को नुकसान होगा, इसको ध्यान में रखते हुए एक दूसरे पर दोषारोपण करते हुए बीच का रास्ता अपनाने की फिराक में हैं। बीजेपी ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि साढ़े साल तक युवाओं को ठगने वाली कांग्रेस एक बार फिर बेरोजगारी भत्ते का लॉलीपाप देकर दोबारा से युवाओं को गुमराह करने की तैयारी में हैं। कांग्रेस की वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
चुनाव की दहलीज पर है, इस समय बेरोजगारी भत्ते की घोषणा युवाओं के साथ धोखे पर एक और धोखा होगा। 2012 में 12 लाख बेराजगार थे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को सत्ता में बैठाने में अहम भूमिका निभाई। 12 लाख में से प्रत्येक को 60 हजार रुपये 5 वर्षों में मिलना था, ऐसे में 7200 करोड़ रुपये बेराजगारों की जेब में जाना चाहिए था, जोकि नहीं गया। अब कांग्रेस पार्टी को चुनाव का भय सता रहा है। इसलिए हर कोई युवाओं को गुमराह करने का षड्यंत्र रच रहा है।
आनंद शर्मा बताएं सीएम का वक्तव्य सही या चुनाव घोषणा पत्र गलत
बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र पर प्रदेश के युवाओं को ठगने एवं सवा चार साल बाद जब सरकार अपने अंतिम दिन गिन रही है। सांसद आनंद शर्मा ने यह कह कर कि मैं बेरोजगारी भत्ते पर सरकार से बात करूंगा, प्रदेश के युवाओं के साथ एक भद्दा मजाक किया है। पार्टी उपाध्यक्ष ने कहा कि सीएम वीरभद्र सिंह स्पष्ट कह चुके हैं कि बेरोजगारी भत्ता देने का न मेरी सरकार ने वादा किया था और न ही कांग्रेस पार्टी ने बेरोजगारी भत्ते की बात कही थी। वर्ष 2012 में पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र कुछ ऐसे लोगों ने तैयार किया था, जिन्हें सरकार चलाने का अनुभव नहीं था तथा बेरोजगारी भत्ते पर उनसे चर्चा नहीं की गई थी।
पार्टी उपाध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि आनंद शर्मा यह बताएं कि सीएम का वक्तव्य सही है या उनका बनाया गया चुनाव घोषणा पत्र गलत था, जिसमें गत सवा चार साल में बेरोजगारी भत्ते के नाम पर सरकार ने चर्चा ही नहीं की और उसे सिरे से खारिज कर दिया है।
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