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प्रश्नकालः ब्रिक्स से Himachal को नहीं मिला किसी भी योजना के लिए पैसा
Last Updated on March 4, 2020 by
शिमला। हिमाचल (Himachal) प्रदेश सरकार ने केंद्रीय आर्थिक मामले मंत्रालय के माध्यम से ब्रिक्स को 698.93 करोड़ रुपए की परियोजनाएं वित्तपोषण के लिए भेजी हैं, लेकिन ब्रिक्स ने अभी तक एक भी परियोजना को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में प्रदेश को इन परियोजनाओं के लिए ब्रिक्स से एक भी पैसा नहीं मिला है। यह जानकारी जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में दी। महेंद्र सिंह ने कहा कि ब्रिक्स के दिशा-निर्देशों के अनुसार विभाग ने 269.74 करोड़ रुपए के एडवांस टेंडर लगा दिए हैं।
विधायक राकेश सिंघा के एक सवाल के लिखित जवाब में महेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2019-90 के दौरान 579271 सेब के पौधे प्रदेश के विभिन्न नर्सरियों में लगाए गए हैं और इन पौधों को नवंबर 2020 में अंतिम निरीक्षण के बाद बिक्री के लिए जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान लगाए गए कुल पौधों में से 204959 पौधे नष्ट हो गए। इनमें रूट स्टाक और ग्राफ्टिड दोनों प्रकार के पौधे शामिल हैं।
विधायक आशा कुमारी के एक सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि चंबा जिले में 15 क्रशरों को खनन के लिए लीज दी गई है। इनमें से 14 क्रशरों के पास पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) स्वीकृति मौजूद है, जबकि एक अमर चंद शर्मा के क्रशर के लिए यह ओनओसी जारी नहीं है, क्योंकि यह क्रशर पहले एनएचपीसी चला रही थी।
किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी के सवाल के जवाब में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने विभाग के अधिकारियों को नामज्ञा गांव के लिए सतलुज नदी से उठाऊ सिंचाई योजना के प्रस्ताव का पुनःनिरीक्षण करने को कहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद तकनीक काफी आगे बढ़ चुकी है और ऐसे में विभाग के अधिकारियों द्वारा यह कहना हैरानीजनक है कि सतलुज नदी से सिल्ट के कारण पानी नहीं उठाया जा सकता। इसी मुद्दे पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि नामज्ञा गांव में पानी की बहुत किल्लत है और उन्होंने इस गांव के लिए उठाऊ सिंचाई योजना को विधायक प्राथमिकता में भी डाला था, लेकिन विभाग के अधिकारियों का रवैया बहुत लापरवाही भरा रहा है।
विधायक रीता धीमान के एक सवाल के जवाब में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि शाह नहर परियोजना के रखरखाव के लिए केंद्र से आज तक कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस परिय़ोजना का रखरखाव राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध धनराशि से ही किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना की लागत में तीन बार संशोधन हुआ है।
विधायक विशाल नैहरिया के एक सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा कि धर्मशाला नगर निगम में विभिन्न श्रेणियों के 142 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 119 पद स्थाई रूप से भरे हैं, जबकि 23 खाली है। उन्होंने कहा कि खाली पदों से नगर निगम की कार्यक्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, फिर भी इन्हें सीधी भर्ती द्वारा भरने के प्रयास जारी हैं।
विधायक होशियार सिंह के एक जवाब में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में सीएसआर प्रावधानों के तहत 74 कंपनियां आती हैं। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां केंद्रीय कारपोरेट मामले मंत्रालय के तहत आती है और इन पर प्रदेश सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने यह भी माना कि सीएसआर में स्थानीय लोगों के प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बिक्रम सिंह ने यह कहा कि जिन कंपनियों का सालाना लाभ 5 करोड़ रुपए से अधिक है, उन्हें कुल लाभांष का दो फीसदी सीएसआर के तहत खर्च करना अनिवार्य है।