अध्यापक संघ ने शिक्षा बोर्ड घेराव को चेताया, Paper Checking बहिष्कार पर फैसला मार्च में

अध्यापक संघ ने शिक्षा बोर्ड घेराव को चेताया, Paper Checking बहिष्कार पर फैसला मार्च में

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शिमला। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ हिमाचल शिक्षा बोर्ड के खिलाफ तल्ख हो गया है। बोर्ड पर शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ उन्हें प्रताड़ित करने व उनसे जबरन बोर्ड ड्यूटी व पेपर चेक करवाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। पेपर चेकिंग (Paper checking) में अब बोर्ड ने शिक्षा निदेशक से सभी शिक्षकों का डेटा मांगा है और बोर्ड की मंशा अपने आप बिना सहमति पत्र के ड्यूटी लगाने की है, जिसका संघ विरोध करेगा। चौहान ने कहा कि यदि बोर्ड ने इस तरह से शिक्षकों को प्रताड़ित करने का कार्य किया तो संघ बोर्ड का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेगा। बोर्ड ने पेपर चेकिंग के मेहनताना सीबीएसई (CBSE) के बराबर या कम से कम दोगुना न किया तो संघ पहले की तरह इस बार भी पेपर चेकिंग के बहिष्कार का निर्णय ले सकता है। इस मामले में मार्च में होने वाली राज्य कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।


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अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, राज्य चेयरमैन सचिन जसवाल, चीफ पैटर्न अरुण गुलेरिया, पैटर्न सरोज मेहता, मनोहर शर्मा, अजीत चौहान, दिलेर जामवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव ठाकुर, अजय शर्मा, कमलराज अत्री, मुकेश शर्मा, महासचिव शामलाल हांडा, वित्त सचिव देव राज ठाकुर, मुख्य प्रेस सचिव एवं प्रवक्ता कैलाश ठाकुर, प्रेस सचिव संजय चौधरी, उपाध्यक्ष गोविंदर पठानिया, रमेश किमटा, जिला प्रधानों में चंबा के हरि प्रसाद, ऊना के डॉक्टर किशोरी लाल, हमीरपुर के सुनील शर्मा, बिलासपुर के राकेश संधू, शिमला के महावीर कैंथला, कांगड़ा के नरदेव ठाकुर, सिरमौर के राजीव ठाकुर, कुल्लू के यशपाल शर्मा, लाहुल स्पीति से पालम शर्मा, किन्नौर से राधाकृष्ण, मंडी से तिलक नायक आदि ने कहा कि उनका संघ प्रदेश में सभी शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है और इस बार संघ के 34000 शिक्षक इसके एक्टिव मेंबर हैं।


संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने बोर्ड चेयरमैन और सचिव को शिक्षकों की मांगों व समस्याओं को लेकर एक मांग पत्र एक माह पूर्व मेल किया था और प्रदेशाध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों ने दोनों से बात कर बैठक के लिए समय मांगा था, लेकिन बोर्ड के इन अधिकारियों का जवाब आया कि हमारे पास शिक्षकों से बात करने का समय नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि बोर्ड सभी तरह के कामों के लिए शिक्षकों पर निर्भर है, जबकि हम बोर्ड के कर्मचारी नहीं हैं। बोर्ड शिक्षकों से डरा धमका कर काम लेना चाहता है और बदले में जब पैसे बढ़ाने की बात आती है तो रुपए की जगह पैसों में मेहनताना बढ़ाता है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि 2014 में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के विरोध प्रदर्शन के बावजूद पेपर चेकिंग व अन्य मेहनताने में 50 प्रतिशत की वृद्धि इस शर्त के साथ की थी कि भविष्य में हर 3 साल के बाद कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। जबकि अब 6 साल बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की सम्माजनक वृद्धि नहीं की है

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