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शिमला। प्रदेश में 108 एंबुलेंस में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों के वेतन व अन्य मसलों पर प्रदेश सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी। प्रदेश सरकार का तर्क है कि 108 एंबुलेंस में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों से सरकार को कोई लेना-देना नहीं हैं। ये कर्मचारी जीवीके कंपनी के अंतर्गत सेवाएं दे रहे हैं। सरकार सिर्फ वाहन खरीद कर देगी है। 108 निशुल्क एंबुलेंस सेवा के तहत प्रदेश में 192 एंबुलेंस चलाई जा रही है। जबकि 102 निशुल्क एंबुलेंस के तहत 125 गाड़ियां चलती हैं।
करीब 750 के करीब कर्मचारी इनमें कार्यरत हैं। इनमें चालक, स्वास्थ्य कर्मी सहित कॉल सेंटर स्टाफ है। बताया गया कि 86 लाख का बजट हर महीने कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है। जबकि महीने का डेढ़ करोड़ के करीब खर्चा इन एंबुलेंस को चलाने पर आता है। पिछले कई महीने से 108 और 102 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी वेतन वृद्धि को लेकर अड़े हुए हैं।
वर्ष 2010 में प्रदेश में निशुल्क एंबुलेंस सेवा 108 शुरू की गई थी। केंद्रीय प्रायोजित इस योजना के तहत 90:10 के तहत राज्य को बजट मिलता है। 90 फीसदी बजट केंद्र सरकार देती है, जबकि 10 फीसदी बजट राज्य सरकार की ओर से मुहैया करवाया जाता है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2017 में चुनावी साल में कंपनी के साथ दोबारा एग्रीमेंट किया था। कंपनी के साथ 2022 तक एग्रीमेंट किया गया था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य बीके अग्रवाल का कहना है कि 108 एंबुलेंस में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों का जो मसला है उसे जीवीके कंपनी ही सुलझा सकती है, इसमें प्रदेश सरकार की कोई भूमिका नहीं हैं। वेतन वृद्धि से लेकर अन्य मसलों पर सरकार कोई फैसला नहीं करेगी। हमने खटारा 20 एंबुलेंस खरीदने का प्रस्ताव तैयार कर दिया है।
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