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15 अगस्त को शुरू की थी Photography, 48 वर्षों बाद उसी दिन बनेंगे “हिमाचल गौरव”
Last Updated on August 13, 2020 by saroj patrwal
वीरेंद्र भारद्वाज/ मंडी। कभी जिस शख्स के पास स्कूल के ग्रुप फोटो( Photo) को खरीदने के लिए साढ़े तीन रूपए नहीं थे आज उसी शख्स को फोटोग्राफी ( Photography) के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए राज्य सरकार हिमाचल गौरव पुरस्कार ( Himachal Gaurav Award) देने जा रही है। मंडी जिला के प्रसिद्ध छायाकार बीरबल शर्मा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। फोटोग्राफी के लिए राज्य सरकार स्वतंत्रता दिवस पर बीरबल शर्मा को हिमाचल गौरव पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है।
15 अगस्त 1972 को फोटोग्राफी के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले मंडी शहर के रामनगर निवासी बीरबल शर्मा ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि 48 वर्षों के संघर्ष के बाद उसी दिन उन्हें प्रदेश का सबसे बड़ा सम्मान प्राप्त होगा। प्रसिद्ध छायाकार बीरबल शर्मा को सीएम जयराम ठाकुर( CM Jairam Thakur) 15 अगस्त पर कुल्लू में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय समारोह के दौरान हिमाचल गौरव पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। यह सम्मान बीरबल शर्मा को फोटोग्राफी के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को सहेजने के लिए दिया जाएगा। बीरबल शर्मा ने 48 वर्षों के दौरान प्रदेश के हर कोने का भ्रमण किया और वहां की संस्कृति को अपने कैमरे में कैद किया। यही नहीं उन्होंने प्रदेश के सभी दर्रों, छोटे बड़े धार्मिक स्थलों, नदियों, झीलों, मेलों, त्यौहारों, संस्कृति, रिति रिवाज, परंपराओं, प्रथाओं और यहां मनाए जाने वाले उत्सवों में व्यक्तिगत रूप से जाकर उनका छायांकन करके उनका संग्रह किया। आज बीरबल शर्मा के पास ऐसे दो लाख से अधिक छायाचित्रों का संग्रह है। इन सभी छायाचित्रों को बीरबल शर्मा ने अपने पैसों से खर्च करके बनाई हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी में रखा है जहां अभी तक लाखों लोग इनके माध्यम से हिमाचल दर्शन कर चुके हैं। मौजूदा समय में यह कॉलेज रोड़ मंडी में बीरबल स्टूडियो के नाम से एक फोटो स्टूडियो का संचालन कर रहे हैं। बीरबल शर्मा ने उन्हें हिमाचल गौरव पुरस्कार देने के लिए राज्य सरकार का आभार जताया है।
एक समय तीन रुपए नहीं थे फोटो लेने के लिए
बीरबल शर्मा बताते हैं कि जब वह 8वीं कक्षा के छात्र थे तो सत्र के अंत में एक यादगार ग्रुप फोटो लिया गया था। उस वक्त एक फोटो के लिए साढ़े तीन रूपए अदा करने होते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह साढ़े तीन रूपए देकर उस फोटो को खरीद सकते। तो उन्होंने फोटो लेने से इनकार कर दिया और इसके बदले में उन्हें सजा भी मिली थी। इसके बाद संयोगवश वह फोटोग्राफी के क्षेत्र में आगे बढ़े और उन्होंने ऐसे लोगों के फोटो लेना शुरू किया जो फोटो नहीं खिंचवा सकते थे।बीरबल शर्मा ने सिर्फ छायाकारी ही नहीं की बल्कि प्राचीन वस्तुओं का संग्रह भी किया। इनके द्वारा स्थापित हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी में आज आपको बहुत सी प्राचीन आकृतियां, पुराने जमाने के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, किताबें और अन्य प्रकार का सामान भी देखने को मिलता है। यह सब इन्होंने अपने खर्चे पर किया और कभी सरकार की तरफ नहीं देखा।
फोरलेन की जद में आने के बाद पुर्नजीवित किया गैलरी को
फोरलेन की जद में आने से हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी तोड़ दी गई लेकिन इन्होंने नया भवन बनाकर उसे फिर से पुर्नजीवित किया। अब बीरबल शर्मा फोटो गैलरी के साथ-साथ वीडियो गैलरी भी बनाना चाहते हैं ताकि लोग वीडियो के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति और खुबसूरती को निहार सकें। बीरबल शर्मा को अब तक प्रदेश और देश की कई नामी संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। अभी तक प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर यह प्रदर्शनियां भी लगा चुके हैं जिन्हें देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। अब सरकार बीरबल शर्मा को हिमाचल गौरव मानकर जो सम्मान देने जा रही है यह सच में उसके हकदार हैं।
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