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हिमाचल हाईकोर्ट ने मांगी वन स्टॉप सेंटरों के CCTV कैमरों की जानकारी
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने यौन अपराध पीड़िताओं (Sexual Violence Victims) के लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटरों (One Stop Centers) में लगे सीसीटीवी कैमरे (CCTV Camera) की जानकारी मांगी है। अदालत ने बाल विकास निदेशक को शपथपत्र के माध्यम से यह जानकारी कोर्ट के सामने पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 सितंबर को निर्धारित की है। राज्य सरकार ने यौन अपराध की शिकार पीड़िताओं के लिए हरेक जिले में वन स्टॉप सेंटर बनाया है। शीर्ष अदालत के आदेशों की अनुपालना में प्रदेश हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे आदेश
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत के सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन स्टॉप सेंटर स्थापित करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा था कि यौन शोषण की पीड़िता के साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जाता है और उसे समाज से बहिष्कृत किया जाता है। कई बार उसके परिवार वाले भी उसे घर में रखने से मना कर देते हैं।
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आदेश में यह कहा था
अदालत में पीड़िता को एक कठोर जिरह के अधीन गुजरना पड़ता है, जिसमें पीड़िता की नैतिकता और चरित्र के बारे में बहुत सारे सवाल उठाए जाते हैं। शीर्ष अदालत ने अभियोजन पक्ष से आशा की थी कि पीड़िता की जिरह एक निश्चित स्तर की शालीनता और सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने यौन अपराध की शिकार पीड़िता की नैतिकता और चरित्र के सम्मान में आदेश दिए थे कि कोई भी व्यक्ति प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पीड़िता का नाम प्रकाशित नहीं कर सकता है। उन मामलों में जहां पीड़िता की मृत्यु हो गई है या दिमाग खराब है, उसका नाम या उसकी पहचान नहीं होनी चाहिए। यौन अपराध से जुड़े मामलों पर दर्ज हुई प्राथमिकी ऑनलाइन न हो। नाबालिग पीड़िताओं की सुनवाई विशेष अदालत में हो। इन आदेशों की अनुपालना के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रदेशों के हाईकोर्ट को जिम्मेदार ठहराया था।