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हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव, निदेशक से पूछा- क्यों न आपको जेल भेज दिया जाए?
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अक्षरशः अनुपालना (Implementation) न होने पर शिक्षा सचिव (Secretary Education) और एलिमेंट्री शिक्षा निदेशक से पूछा है कि क्यों न उन्हें जेल (Jail) भेज दिया जाए? कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर सफाई मांगी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर प्रतिवादी अपना स्पष्टीकरण नहीं दे पाए तो यह समझा जायेगा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है। ऐसे में मामले की अगली सुनवाई के दिन जेल जाने के लिए वे स्वयं जिम्मेवार होंगे। मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
यह है पूरा मामला
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने प्रार्थी कुलदीप चन्द द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की ओर से उसके पक्ष में सुनाए गए निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दायर (Petition Filed) की थी। कोर्ट ने पाया कि 24 अप्रैल 2014 को खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया था। प्रार्थी ने उसकी सेवाएं 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत बतौर नियमित अध्यापक (Regular Teacher) ओवर टेक किए जाने की मांग की थी।
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हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को आदेश दिए थे कि वह ओम प्रकाश बनाम राज्य सरकार वाले मामले में दिए आदेशों के दृष्टिगत प्रार्थी के मामले में भी निर्णय ले। ओम प्रकाश मामले में कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी ओम प्रकाश को तब से नियमित नियुक्ति प्रदान करे, जब से सरकार ने उसके कॉलेज को 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के तहत अधिग्रहीत किया था। सरकार ने उपरोक्त ओम प्रकाश मामले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती (Challenged) दी थी परंतु विफल रही। यह फैसला प्रार्थी के मामले में भी लागू होना था इसलिए उसने 24 अप्रैल 2014 के फैसले को लागू (Implement The Order) करने के लिए अनुपालना याचिका दायर की थी। प्रतिवादियों को उपयुक्त समय देने के बावजूद आदेशों की अनुपालना नहीं की गई