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हिमाचल High Court ने #Solan के ढाबा मालिक के हत्यारोपी की जमानत याचिका खारिज की
शिमला। उच्च न्यायालय (High Court) ने सनवारा के ढाबा मालिक के हत्यारोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति चंदर भूषण बारोवालिया ने राहुल मलिक द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। आरोप है कि उसने कथित रूप से ढाबा मालिक पर फायरिंग की थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 जून, 2016 को आरोपियों ने परम जीत सिंह के ऊपर कथित रूप से गोलीबारी की। जोकि सनवारा धर्मपुर (सोलन) में एक रेस्तरां (ढाबा) चलाता था। मृतक की पत्नी की शिकायत पर 27 जून 2016 को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307, 147, 148, 149 आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 29 के तहत धर्मपुर पुलिस स्टेशन जिला सोलन (Solan) में प्रार्थी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
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शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि वह अपने पति, अर्थात् परम जीत सिंह के साथ सनवारा में एक रेस्तरां (ढाबा) चलाते थे। उक्त ढाबे की देखभाल उनका भतीजा हसनदीप भी कर रहा था। 26 जून 2016 को, जब वह कपड़े धो रही थी, लगभग 05बजे, 10/15 व्यक्तियों का एक पर्यटक समूह ढाबे में आया। इसके बाद भोजन की ताजगी को लेकर एक विवाद पैदा हुआ और हाथापाई हुई। पर्यटक (Tourist) समूह का एक व्यक्ति वाहन के पास गया। एक पिस्तौल लाया और उसके पति परम जीत सिंह पर फायर किया। हसनदीप को भी उसके सीने पर बंदूक की नोक से मारा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि वह पिछले चार वर्ष से अधिक समय से सलाखों के पीछे है और ट्रायल जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है। हालांकि, दूसरी ओर अभियोजन एजेंसी कहा कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता, याचिकाकर्ता, जिसने खुले में फायरिंग की और परिणामस्वरूप ढाबा मालिक की मृत्यु हो गई और एक और व्यक्ति को गंभीर चोटें भी लगीं। याचिका (Petition) को खारिज करते हुए, जस्टिस बारोवालिया ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए, याचिकाकर्ता की भूमिका कथित अपराध के दृष्टिगत प्रतीत होती है कि वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और न्याय से भाग सकता है। यह याचिका को स्वीकार करने के लिए न्यायिक विवेक के दृष्टिगत उचित मामला नहीं है।
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