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हाईकोर्ट ने बिलासपुर दवा दुकान मामले संबंधित याचिका को ₹100000 कॉस्ट के साथ किया खारिज
शिमला। प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal High Court) ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने व कोर्ट से जरूरी जानकारी छिपाने पर प्रार्थी की याचिका को 1,00000/- रुपये कॉस्ट सहित खारिज कर दिया । न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पंकज शर्मा द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया। प्रार्थी ने अपनी याचिका में (Regional Hospital Bilaspur) सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में दवाई की दुकान (Bilaspur medicine shop) नंबर 4 से संबंधित टेंडर को रिकॉल करने की न्यायालय से गुहार लगाई थी। इसके अलावा प्रार्थी ने 13 जनवरी 2013 को जारी उन सरकारी आदेशों को भी रद्द करने की गुहार लगाई थी जिसके तहत प्रार्थी को टेंडर प्रक्रिया में अयोग्य घोषित किया गया था। प्रार्थी ने टेंडर को उसके पक्ष में करने के लिए भी न्यायालय से गुहार लगाई थी।
कोर्ट ने इसे जालसाजी का मामला माना
न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी विभाग ने दवा की दुकान के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। प्रार्थी के अनुसार जिसने ₹1,41,000 प्रतिमाह के हिसाब से किराया देने के लिए बिड दाखिल की थी उसने 19 दिसंबर 2022 को सरेंडर कर दिया था। चूंकि प्रार्थी ने ₹92,000 प्रतिमाह के हिसाब से किराया देने के लिए बीड दाखिल की थी इसलिए प्रार्थी इस दुकान को किराए पर लेने का हक रखता है । न्यायालय ने पाया कि प्रार्थी ने न्यायालय को यह बताना जरूरी नहीं समझा कि हाईएस्ट बिडर और कोई नहीं बल्कि उसकी धर्मपत्नी थी जोकि एनआर हॉस्पिटल चंद्रपुर बिलासपुर में प्रबंध निदेशक के तौर पर कार्य कर रही है। वह इस षड्यंत्र में प्रार्थी के साथ शामिल थी और हर तरीके से टेंडर को कम किराए पर अपने पक्ष में करवाने के लिए इन्होंने इस तरह का हथकंडा अपनाया, जो कि कानून की नजरों में मान्य नहीं है। न्यायालय ने इसे जालसाजी का मामला पाते हुए प्रार्थी की याचिका को ₹100000 कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया।
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