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हिमाचल High Court का विद्युत बोर्ड कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन को लेकर बड़ा फैसला
शिमला। हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य विद्युत बोर्ड (State Electricity Board) के कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि अपनी मांगों को मनवाने के लिए राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते हैं। कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। हाईकोर्ट पहले ही डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल को गैरकानूनी करार दे चुका है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि कर्मचारी संघ का कोई भी सदस्य हड़ताल में भाग नहीं लेगा। अगर कोई सदस्य बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्णय से नाखुश है तो वह सक्षम न्यायालय (Court) या प्राधिकरण के समक्ष अपना मामला रख सकते हैं। न्यायालय इन लोगों को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देगा। अगर फिर भी वह नहीं माने तो उनके खिलाफ विभागीय व अपराधिक मामले दर्ज करने के अलावा उन्हें न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने के लिए अवमानना के मामले का सामना करना पड़ेगा। मामले पर सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए निर्धारित की गई है।
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तृतीय श्रेणी तक के कर्मियों को हाईकोर्ट के आदेश
हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी तक के अधिकारियों व कर्मचारियों को यह जरूरी करने के आदेश जारी किए हैं कि वे अपनी ईमेल आई डी अपने नियोक्ता को दे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि वैश्विक बीमारी कोविड 19 के दौरान सेवा से जुड़े मामलों में निजी तौर पर बनाए गए प्रतिवादियों को नोटिस की तामील करवाने के लिए भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी की ईमेल आईडी (Email ID) हो तो उस पर नोटिस की तामील करवाना सरल हो जाता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए हैं कि वह तृतीय श्रेणी के तक अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए यह दिशा-निर्देश जारी की करें कि वह अपने विभाग, बोर्ड व निगम को अपनी ईमेल आईडी दें। न्यायालय के आदेशों की प्रतिलिपि मुख्य सचिव को भेजने के आदेश जारी किए हैं, ताकि न्यायालय के आदेशों के अनुपालन सुनिश्चित की जा सके।