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शिमला। बेवजह 5 छात्रों के मूल दस्तावेज रखने के लिए हिमाचल हाईकोर्ट (#High Court) ने प्रतिवादी हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीटूशन्स को उत्तरदायी ठहराया है। संस्थान को आदेश दिए हैं कि वह प्रत्येक प्रार्थी को 50,000 मुकदमा खर्च के तौर पर अदा करे। इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रार्थियों को यह भी छूट दी की कि अगर वे चाहे तो क्षतिपूर्ति मुआवजे के लिए उपयुक्त न्यायालय के समक्ष हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीटूशन्स (Himalayan Group of Professional Institutions) के खिलाफ मुकद्दमा दाखिल कर सकते हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ट्विंकल पुंडीर व अन्य चार छात्रों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात यह निर्णय पारित किया। प्रार्थियों के अनुसार उन्होंने प्रतिवादी संस्थान में 3 वर्षीय जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी डिप्लोमा लेने के लिए दाखिला लिया था। दाखिला लेते समय प्रार्थियों से सभी मूल दस्तावेज ले लिए गए थे, जिन्हें तृतीय वर्ष की परीक्षा होने के पश्चात भी नहीं लौटाया गया। प्रार्थियों को यह दस्तावेज यह कहकर वापस नहीं किए गए कि उनके दस्तावेज सीबीआई ने लिए हैं और सीबीआई (CBI) द्वारा वापस देने पर ही दस्तावेज उन्हें लौटाए जा सकते हैं। यह विशेष रूप से सीबीआई द्वारा दायर जवाब में सामने आया है कि महाविद्यालय ने उन छात्रों के मूल दस्तावेजों को गलत मंशा से अपने पास रखा था, जिन्होंने उपर्युक्त संस्थान में प्रवेश लिया था।
न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के निर्णयों के उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि लोकतंत्र सामान्य, व्यावसायिक और व्यावसायिक शिक्षा के उच्च स्तर पर अपने जीवन के लिए निर्भर करता है। अनुशासन के साथ नए ज्ञान की खोज के साथ सीखने के प्रसार को हर कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए। शिक्षा एक अच्छी तरह से काम करने वाले समाज के उत्पादक वयस्कों के भविष्य की फसल की कटाई के लिए अपने बच्चों द्वारा राष्ट्र द्वारा किया गया निवेश है। न्यायालय ने कहा कि क्या होता है जब शिक्षक अपने छात्रों के मूल प्रमाणपत्र (Original Certificate) और अन्य दस्तावेजों को अपने पास रखते हुए ब्लैक मेलिंग के निचले स्तर पर उतरता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पंखों को काट दिया गया है और वे किसी अन्य कॉलेज में नहीं जा सकते या इस मामले को कॉलेज ही पर छोड़ देते हैं ।
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