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हिमाचल हाईकोर्ट: अनधिकृत निर्माण के नियमितीकरण पर मुख्य सचिव समेत इन अफसरों को नोटिस
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार द्वारा अवैध भवनों के नियमितीकरण के लिए बनाए गए शिमला डेवलपमेंट प्लान को चुनोती देने वाली याचिका पर मुख्य सचिव, अपर सचिव नगर एवं ग्राम नियोजन, निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग और नगर योजनाकार, सरकार को नोटिस (Notice) जारी किया है। न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने हितांशु जिष्टु द्वारा दायर याचिका पर ये आदेश पारित किए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि आवास और वाणिज्यिक परिसरों के अनिश्चित, तर्कहीन और अनियंत्रित निर्माण के कारण पूरा हिमाचल प्रदेश खतरे में है। याचिकाकर्ता ने इसके अलावा भी कई अन्य आरोप लगाए थे।
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याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग रूल्स, 2014 (2019 तक संशोधित) के नियम 35 और साथ ही हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग रूल्स, 2019 (चौथा संशोधन) को रद्द करने और पूरी तरह से असंवैधानिक और असंवैधानिक होने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को निर्देश देने की भी प्रार्थना की है कि वे किसी भी अनधिकृत संरचना / भवन / विकास को नियमित या छूट न दें, जिसके लिए प्रतिवादियों को हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री के संदर्भ में आवेदन प्राप्त हुए हैं।
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योजना (संशोधन) अधिनियम, 2016, साथ ही अन्य अनधिकृत निर्माण / विचलन जो अनुमेय सीमा से परे हैं और जिनके लिए पहले से ही टीसीपी, अधिनियम 1977 और एचपी के तहत नोटिस जारी किए गए हैं। एम.सी अधिनियम, 1994. याचिकाकर्ता ने आगे प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि वे अधिनियम या नियमों को अधिसूचित/संशोधित न करें, जो पूरे हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल अनधिकृत निर्माण को नियमित करने और संयोजित करने के बराबर है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता में न्यायालय निगरानी समिति के गठन के लिए प्रार्थना की है, ताकि एक तथ्य खोज जांच शुरू की जा सके और बाद में उन अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके जिनके कार्यकाल के दौरान अनधिकृत पूरे राज्य में निर्माण और विचलन हुआ। मामले को 9 मई, 2022 के लिए तय किया गया है।