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अदालत के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ पर हिमाचल हाईकोर्ट ने दी अनोखी सजा
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने अदालत के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने के 3 दोषियों को अनोखी सजा (Unique Punishment) सुनाई है। तीनों को 14 दिनों तक सामुदायिक सेवा (Community Service) करने के आदेश दिए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दोषियों को ग्राम पंचायत हरोली जिला ऊना के प्रधान के समक्ष तुरंत पेश होने को कहा गया है। कोर्ट ने ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) को आदेश दिए कि वह दो माह के भीतर दोषियों से दो सप्ताह के लिए ग्राम पंचायत के लोगों के फायदे के लिए समाजसेवा से जुड़ा कोई भी काम सौंपे। ग्राम पंचायत की संतुष्टि के बाद इन्हें जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी के सचिव के समक्ष पेश होने को भी कहा गया है, जहां उनसे कानूनी देखभाल एवं खेल केंद्र गांव हरोली (Haroli Una) में दो सप्ताह के लिए उचित काम लेने के आदेश जारी किए गए हैं। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 12 -12 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया।
यह है पूरा मामला
मामले के अनुसार दोषियों के खिलाफ दीवानी अदालत में मुकदमा चलाया गया था। फैसला उनके खिलाफ होने पर उन्होंने इसकी अपील जिला न्यायालय में की। वहां से भी हारने के बाद दोषियों ने हाईकोर्ट में दूसरी नियमित अपील दायर की। इस अपील को वे समय पर दायर न कर सके, इसलिए इन्होंने अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने के लिए एक आवेदन (Application) भी दायर किया। देरी का एक कारण बताते हुए उन्होंने जिला अदालत के फैसले की प्रति देरी से मिलने की बात कही थी। दोषियों का कहना था कि उन्होंने 23 दिसम्बर 2015 के फैसले की प्रति पाने के लिए 26 दिसम्बर 2015 को आवेदन किया था। इसके बाद उन्हें फैसले की कॉपी 7 नवम्बर 2016 को दी गई, जिसकी सत्यापन (Verification) की तारीख 5 नवम्बर 2016 होना बताया गया। कोर्ट ने दोषियों की कहानी को संदेहास्पद पाया और मामले की छानबीन करने के आदेश दिए। छानबीन कर पता चला कि दोषियों ने फैसले की सत्यापित प्रति में सत्यापन की तिथि से छेड़छाड़ की और 5.1.2016 को असल में सत्यापित की गई प्रति को 5.11.2016 को सत्यापित होना बताया।