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हिमाचल हाईकोर्ट ने 300 डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इंकार
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Govt) के निर्णय के अनुसार स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में डॉक्टरों के 300 पदों की भर्ती प्रक्रिया (Recruitment Process) जारी रहेगी। अदालत ने इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि अदालत की अनुमति के बिना से परीक्षा परिणाम (Exam Result) घोषित नहीं किया जाये। मामले की सुनवाई अब 12 सितंबर को निर्धारित की गई है। डॉक्टर शौर्या चौधरी और अन्य द्वारा दायर याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार वर्ष 2012 से 2022 तक इन पदों को वॉक इन इंटरव्यू (Walk in Interview) से ही भर्ती कर रही है। मंत्रिमंडल ने 300 पद वाक इन इंटरव्यू से और 200 पद लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया था। 21 दिसंबर 2020 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 251 पद वाक इन इंटरव्यू से ही भरे गये थे। इसके अलावा एक फरवरी 2022 को भी चिकित्सकों के 43 पद भरे गए थे। 14 जुलाई, 2022 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 300 पद वाक इन इंटरव्यू से भरे जाने को स्वीकृति दी।
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याचिका में आरोप लगाया गया है कि 3 अगस्त, 2022 को राज्य सरकार ने अपने ही फैसले को पलटते हुए 300 पदों को परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया है। सरकार का इस तरह का निर्णय नियमों के विपरीत ही नहीं, बल्कि नौकरी की राह देख रहे प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ भी खिलवाड़ है। राज्य सरकार ने दलील दी कि नियमों के अनुसार परीक्षा के माध्यम से इन पदों को भरने का जिम्मा अटल चिकित्सा अनुसंधान विश्वविद्यालय को दिया है। विश्वविद्यालय ने प्रदेश में 300 चिकित्सकों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। चिकित्सकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 4 सितम्बर को निर्धारित की गई है। प्रशिक्षु चिकित्सकों ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया जाए और सरकार को आदेश दिए जाएं कि इन पदों को नियमों के अनुसार वाक इन इंटरव्यू से ही भरा जाए।
हिमाचल हाईकोर्ट में महिलाओं को बस किराये में छूट मामले पर फिर हुई सुनवाई
हिमाचल हाईकोर्ट में सरकार द्वारा महिलाओं को 50 फ़ीसदी बस किराए में छूट देने को चुनौती देने वाली याचिका पर फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले पर फिर से सुनवाई का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले में फैसला लिखाते समय यह लगा कि याचिकाकर्ता निजी बस ऑपरेटर संघ का विवरण और उसका अधिकार क्षेत्र जानना बहुत जरूरी है। इसलिए याचिका में उत्पन्न इस समस्या को ठीक करने के लिए याचिका कर्ता की ओर से एक सप्ताह का समय मांगा गया। अब मामले पर सुनवाई 12 सितम्बर को होगी। उल्लेखनीय है कि वीरवार को न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने निजी बस ऑपरेटर संघ की याचिका पर सभी पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलीलों को सुनने के पश्चात फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव व निदेशक परिवहन ने कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि सरकार से इस फैसले से परिवहन निगम को लगभग 60 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा।
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