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फर्जी प्रमाणपत्र बांटने के आरोपों पर हिमाचल हाईकोर्ट ने तलब किए इंस्टीट्यूट के निदेशक
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (National Institute of Open Schooling) पर फर्जी प्रमाणपत्र बांटने (Fake Certificates Distribution)के आरोपों को देखते हुए इंस्टीट्यूट के निदेशक (Director) (मूल्यांकन) को तलब किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने एनआईओएस को क्रमांक संख्या 190198056318 का तमाम रिकॉर्ड भी तलब किया है। मामले के अनुसार प्रार्थी सुनीता देवी ने पटवार सर्कल थाची में प्रतिवादी ऊषा देवी के बतौर पार्ट टाइम क्लास 4 चयन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। प्रार्थी का आरोप था कि प्रतिवादी ऊषा ने एनआईओएस से प्राप्त दसवीं का जो प्रमाणपत्र चयन कमेटी के समक्ष पेश किया था वो फर्जी था।
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हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए प्रतिवादी का चयन रद्द कर प्रार्थी को नियुक्ति देने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के उक्त सर्टिफिकेट के जारी होने में संदेह जताते हुए उच्च शिक्षा निदेशक को मामले की छानबीन करने के आदेश दिए थे। इसके पश्चात कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय की जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट होते हुए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (Himachal Pradesh Board of School Education) के सचिव को जांच करने के आदेश दिए थे। सचिव स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से दायर जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात प्रदेश उच्च न्यायालय ने उपरोक्त आदेश पारित किए हैं।
डाक सहायक की लिखित परीक्षा में बैठाया था अन्य व्यक्ति
शिमला जिला अदालत चक्कर ने लिखित परीक्षा (Written exam) में दूसरे को बैठाने के आरोपी को एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने वीरेंद्र कुमार को 10,000 रुपये जुर्माना भी लगाया है। पुलिस ने अदालत के समक्ष अभियोग दायर किया था कि 28 अक्तूबर 2010 को डाक विभाग (Postal Department) ने शिमला में डाक सहायक के लिए लिखित परीक्षा करवाई। वायु सेना से सेवानिवृत्त आरोपी ने भी इसके लिए आवेदन किया था। लिखित परीक्षा में उसने गंगू कुमार को बैठाया। परीक्षा पर्यवेक्षक ने पाया कि जो रोल नंबर आरोपी को आवंटित किया गया था, उसके स्थान पर कोई और परीक्षार्थी परीक्षा दे रहा था। इसकी शिकायत पुलिस को दी गई। पुलिस ने मामले की जांच की और अदालत के समक्ष अभियोग चलाया।