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Check Bounce मामले में दोषी की सजा के सशर्त निलंबित के आदेश सही करार
Last Updated on June 25, 2020 by Vishal Rana
शिमला। हाईकोर्ट ने चेक बाउंस (Check Bounce) मामले में दोषी की सजा को सशर्त निलंबित करने के आदेशों को सही ठहराते हुए कहा कि निचली अदालत दोषी की अपील के लंबित रहने तक सजा निलंबन के लिए कोई भी न्यायोचित शर्त लगाने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट (High Court) के समक्ष आए मामले में सोलन जिला सत्र न्यायाधीश के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत मुआवजा राशि की 50 फीसदी रकम जमा करने की शर्त पर दोषी की सजा निलंबित की गई थी।
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न्यायिक दंडाधिकारी कसौली ने चेक बाउंस के दोषी ललित कौशल को 12 लाख रुपए मुआवजे व कोर्ट (Court) के उठने तक साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। यह मुआवजा राशि 6 लाख रुपए के चेक के बाउंस होने पर सुनाई गई थी। दोषी ने इस सजा के खिलाफ सोलन के सत्र न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी थी। सत्र न्यायाधीश ने अपील के लंबित रहते इस शर्त पर दोषी की सजा को निलंबित करने के आदेश दिए थे कि यदि दोषी मुआवजा राशि का 50 फीसदी हिस्सा कोर्ट में जमा करवाता है, तो उसे अपील पर फैसले तक सजा नहीं भुगतनी पड़ेगी। प्रार्थी ने इन आदेशों को हाईकोर्ट में यह कहकर चुनौती दी थी कि मुआवजे व आर्थिक दंड में फर्क है। कानून के तहत मुआवजा राशि कोर्ट में जमा करवाने के लिए आरोपियों को बाध्य नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों को नकारते हुए उपरोक्त व्यस्था के तहत प्रार्थी की याचिका खारिज कर दी।