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हिमाचल भवन कुर्क करने के फैसले से मचा बवाल, बीजेपी का सुक्खू सरकार पर हमला
Highcourt Order Attacgment of Himachal Bhawan Delhi: हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट (Himachal High Court) के आर्बिट्रेशन अवार्ड की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल भवन नई दिल्ली (Himachal Bhawan Delhi) को कुर्क करने के आदेश के बाद प्रदेश में खासा बवाल मचा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी (BJP) सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर हमलावर हो गई है। इस मामले पर पूर्व सीएम जयराम ठाकुर (Former CM Jai Ram Thakur) ने कहा कि हिमाचल भवन प्रदेश की सम्मानजनक प्रॉपर्टी है, जहां हम हर हिमाचली सम्मान के साथ जाता है। हिमाचल भवन को नीलाम करने के आदेश सरकार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार लगातार ऐसे फैसले ले रही है जिससे हिमाचल प्रदेश की फजीहत हो रही है।
सरकार जनहित से हटकर लेती है फैसले
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिन्दल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में कभी ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता कि किसी पेमैंट को करने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश किए और सरकार ने वो पेमैंट ना की हो जिसके कारण एक बहुत बड़ा ब्लॉट हिमाचल प्रदेश की सरकार व हिमाचल प्रदेश की जनता के उपर यह ब्लॉट लगाने का काम प्रदेश की वर्तमान सुखविन्द्र सिंह सुक्खू सरकार (Sukhwinder Singh Sukhu Sarkar) ने किया है। बिन्दल ने कहा कि इस परिस्थिति में सवाल खड़े होते हैं कि सरकार आए दिन जो फैसले लेती है वो जनहित से हटकर लेती है।
क्या हैं हाईकोर्ट के आदेश
दरअसल हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने आर्बिट्रेशन अवार्ड की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड (Seli Hydro Electric Power Company Limited) द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए। कोर्ट ने एमपीपी और पावर विभाग के प्रमुख सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने के आदेश भी दिए कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपए की 7 फीसदी ब्याज सहित अवार्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारी अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट ने 15 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करने और जांच की रिपोर्ट अगली तारीख को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत के आदेश भी दिए। मामले पर सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
अवार्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लगा
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता द्वारा जमा किए गए 64.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम (Advance Premium) को याचिका दायर करने की तारीख से इसकी वसूली तक 7फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी-राज्य के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए आर्बिट्रेशन अवार्ड (Arbitration Award) को लागू किया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार द्वारा अवार्ड राशि जमा करने में देरी से दैनिक आधार पर ब्याज लग रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाना है।