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पालमपुर। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार (BJP leader Shanta Kumar)का कहना है कि जीवन के इस अंतिम पड़ाव पर मुझे किसी से भी हिंदू होने का प्रमाण-पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। उन्होने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि कुछ मित्रों ने क्रोध में आकर उनका पुतला भी फूंका। यह धारणा है कि जिस का पुतला फूंका जाता है उसकी आयु बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें देश की सेवा करने का ओर समय मिल जाए तो उनके लिए सौभाग्य ही होगा। शांता ने ये बातें कसौली में खुशवंत सिंह लिटफेस्ट (Khushwant Singh Litfest in Kasauli) के संबंध में दिए गए अपने बयान के संदर्भ में कही हैं।
शांता ने कहा कि उनके बयान का कुछ मित्रों ने गलत अर्थ निकाला हैं। उन्होंने उस कार्यक्रम की सराहना की थी और यह कहा था कि प्रदेश में इतना महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रति वर्ष होना अच्छी बात है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह के कार्यक्रमों में कुछ भी ऐसा न हो जिस पर कोई विवाद खड़ा हो सके। उनके कहने का सीधा सा अर्थ था कि कार्यक्रम में राजनीतिक मुद्दे
और धारा-370 की चर्चा नहीं होनी चाहिए। बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में उन्होंने अपनी टिप्पणी राजनीतिक भाषा में नहीं की थी। पर सोलन के कुछ मित्रों को भ्रम हो गया, अच्छा होता वे उन्हें फोन करके पूछ लेते। शांता ने कहा कि यदि वे उन्हें एक हिंदू नहीं समझते तो उन्हें कुछ भी नहीं कहना है। याद रहे कि बीते कल सोलन में शांता कुमार के विरोध में उनका पुतला फूंका गया था।
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