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#DDU_Hospital आत्महत्या मामला : मेडिकल अफसर संघ ने स्टाफ पर गाज गिराने को ठहराया गलत
Last Updated on October 20, 2020 by
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश मेडिकल अफसर संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक मुख्य सलाहकार डॉ संतलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सभी जिला के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया और चिकित्सकों के हितों से जुड़े हुए ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में डीडीयू अस्पताल ( DDU Hospital) शिमला में हुई आत्महत्या के मामले में मेडिकल सुपरीटेंडेंट, चिकित्सकों, स्टाफ नर्स और फार्मासिस्ट को दोषी ठहराने पर चिंता जताई गई। सभी का एक मत था कि अगर आत्महत्या जैसी दुखांत घटनाओं में भी मेडिकल स्टाफ की गलती निकाल कर उनको बलि का बकरा बना कर उनके ऊपर गाज गिराई जाएगी तो यह न्यायोचित नहीं है। उन्होंने इसे एकतरफा जांच करार देते हुए जांच पर असहमति जताई। संघ इस मामले की जांच किसी माननीय सेवारत न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में करवाने की मांग करता है।
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बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में संघ के महासचिव डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि सभी सदस्यों की सहमति के बाद संघ ने यह भी निर्णय किया कि डीडीयू अस्पताल शिमला में हुई आत्महत्या के मामले में जांच रिपोर्ट (Test report) पर कोई कानूनी सलाह या न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की जरूरत पड़ेगी तो संघ इस पर भी अमल करेगा। डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि पिछले 6 महीनों से चिकित्सक व मेडिकल स्टाफ दिन-रात लगातार बिना किसी छुट्टी लिए इस पैनडेमिक में काम कर रहे हैं और इस समय भारी मानसिक दबाव में चल रहे हैं । उन्होंने कहा कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई ना केवल उनके मनोबल के ऊपर एक चोट होगी बल्कि आने वाले नौजवान पीढ़ी को भी मेडिकल जैसे प्रोफेशन से विमुख करेगी।
संघ (Himachal Pradesh Medical Officers Association) के महासचिव डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि अनुबंधित चिकित्सकों जोकि कोरोना के इस महामारी में पिछले 6 महीनों से लगातार बिना छुट्टी लिए हुए और अपने परिवारों को खतरे में डालते हुए काम कर रहे हैं उनकी वेतन का 22 प्रतिशत काटना दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार की कथनी और करनी को उजागर कर रहा है। उन्होने बताया कि संघ के प्रतिनिधि मंडल की मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात के बाद सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए कि किसी भी अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी की ग्रेड पे इंसेंटिव को नहीं काटा जाए लेकिन इन आदेशों के बाद जहां पहले पूरी सैलरी मिल रही थी, अब वहां भी यह कटनी शुरू हो गई है। इससे यह प्रतीत होता है कि या तो सरकार हमारे चिकित्सकों के हितों के लिए गंभीर नहीं है या तो फिर अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं । संघ ने इसमें निर्णय लिया कि इसमें कानूनी सलाह लेकर आगे की कार्यवाही की जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो संघ संघर्ष करने से भी पीछे नहीं हटेगा।
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