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शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य तकनीकी कर्मचारी संघ (Himachal Pradesh State Technical Employees Union) ने आज शिमला (Shimla) में धरना दिया। धरना प्रदेश अध्यक्ष दूनी चंद ठाकुर की अध्यक्षता में विद्युत भवन शिमला में हुआ। इसमें प्रदेश के सभी इकाइयों से तकनीकी कर्मचारी (Technical Employee) उपस्थित हुए। सभी इकाइयों के प्रधान व सचिवों ने विद्युत बोर्ड प्रबंधन (Electricity Board Management) के तकनीकी कर्मचारियों की मांगों को ना मानने पर कड़ा विरोध जताया। कहा कि अगर प्रबंधन तकनीकी कर्मचरियों की मांगों को नहीं मानता है तो प्रदेश के सभी तकनीकी कर्मचारी फिर से बिजली बोर्ड प्रबंधन के खिलाफ धरना करेंगे व तब तक मुख्यालय को नहीं छोड़ेंगे, जब तक उन की मांगों को नहीं मान लिया जाता।
प्रदेश अध्यक्ष दूनी चंद ठाकुर ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बोर्ड प्रबंधन से चार बार सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई व प्रबंधन ने 31 मई तक सभी विषयों पर निर्णय लेने का आश्वासन दिया। तकनीकी कर्मचारी संघ ने कोरोना की परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए बोर्ड को जून माह में और समय दिया उसके बाद 8 जुलाई को प्रबंधन के साथ पुनः संवाद स्थापित किया। मगर बोर्ड के प्रबंध निदेशक का रवैया तकनीकी कर्मचारियों की समस्यायों के प्रति सकारात्मक नहीं था, जिस को देखते हुए बोर्ड को 10 दिन का एक समयबद्ध नोटिस दिया गया।
दूनी चंद ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान प्रबंधक वर्ग सर्विस कमेटी की बैठक नहीं करवा पाया है, जो उनकी नाकामी को दर्शाता है व कर्मचारियों के प्रति उनकी मानसिकता को भी दर्शाता है। तकनीकी कर्मचारी रात-दिन लाखों उपभोक्ताओं (Consumers) को सुचारू बिजली उपलब्ध करवा रहे हैं, उसके विपरीत मौजूदा प्रबंधन उनकी जायज मांगों को नहीं मान रहा, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। तकनीकी कर्मचारी संघ तकनीकी कर्मचरियों की मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। प्रदेश अध्यक्ष ने बोर्ड प्रबंधन को चेताया कि वह तकनीकी कर्मचारियों की परीक्षा ना लें व उनकी मांगों को तुरंत मानकर उनके आदेश जारी करें, नहीं तो आने वाले समय में तकनीकी कर्मचारी संघ प्रदेश में एक बहुत बड़ा आंदोलन करेगा, जिसकी रणनीति आगामी पदाधिकारी बैठक में तय की जाएगी। यह बैठक शिमला में 27 जुलाई को रखी गई है। दूनी चंद ठाकुर ने प्रदेश सरकार से यह भी मांग की है कि बोर्ड में सेवा विस्तार की प्रथा को बंद किया जाए। इसके साथ ही तकनीकी कर्मचारी संघ ने बोर्ड के निजीकरण का भी विरोध किया है। अगर केंद्र सरकार (Central Government) बोर्डों का निजीकरण करती है तो तकनीकी कर्मचारी संघ पूरे प्रदेश भर में आंदोलन शुरू करेगी।
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