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कुल्लू। भगवान रघुनाथ की नगरी देवभूमि कुल्लू (Kullu) जिला में रंगों, उमंग, खुशियों, आपसी भाईचारे का प्रतीक होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कुल्लू, मनाली (Manali), पतलीकुहल, भुंतर व मणिकर्ण सहित तीर्थन, बंजार में लोगों ने एक-दूसरे गुलाल लगाकर होली (Holi) का त्योहार मनाया। कुल्लू शहर में ढालपुर, लोअर ढालपुर, सरवरी अखाड़ा सहित आसपास की सभी घाटियों में बच्चों, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों ने देवी-देवताओं के मंदिर में होली के त्योहार पर प्राचीन परंपराओं (Ancient Traditions) का निर्वहन किया। कुल्लू जिला में होली का त्योहार पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है। पूरे देश में जहां होली का त्योहार कल मनाया जाएगा, वहीं कुल्लू जिला में होली का त्योहार एक दिन पहले हर साल मनाया जाता है। जहां पर होली के त्योहार पर शाम के समय फाग जलाई जाती है।
स्थानीय निवासी लोअर ढालपुर सिदार्थ पुरोहित ने बताया कि कुल्लू जिला में होली का त्योहार भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) के अयोध्या से कुल्लू आगमन के बाद शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि बंसत उत्सव के साथ कुल्लू में 40 दिन पहले मनाई जाती है, जिसमें होलाष्टक में 8 दिन तक वैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ मंदिर में होली गीत गाते हैं और उन पर गुलाल फेंका जाता है। भगवान रघुनाथ की परंपरा के साथ होलिका दहन होता है। उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला में 2 दिन तक होली का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन पूर्णमा के दिन होता है, जिसमें सभी लोग टोलियों में अपने आस पड़ोस में भाई चारे के साथ मनाते हैं।
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