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Delivery के बाद कितने समय में वापस पा सकेंगी टाइट योनि, पूरी जानकारी के लिए पढ़ें ये खबर
Last Updated on June 19, 2020 by Deepak
महिलाओं को डिलीवरी के बाद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नॉर्मल डिलीवरी (Normal delivery) के बाद योनि में बदलाव आना सामान्य बात है। डिलीवरी के दौरान गर्भ नलिका के जरिए शिशु को बाहर निकालने के लिए योनि की सभी मांसपेशियां खिंच जाती हैं, जिससे योनि में बदलाव आना स्वाभाविक है। शिशु के जन्म के बाद आपको योनि में हल्का-सा ढीलापन महसूस हो सकता है लेकिन डिलीवरी के कुछ दिनों बाद योनि अपनी सामान्य स्थिति में आना शुरू कर देती है। हालांकि, ये पूरी तरह से पहले ही तरह नहीं हो सकती है। यदि जुड़वा बच्चों की डिलीवरी हुई है तो योनि की मांसपेशियों में ज्यादा खिंचाव आया होगा। अगर आपको इसकी वजह से असहज महसूस हो रहा है तो योनि की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए आप प्रेग्नेंसी से पहले, दौरान और डिलीवरी के बाद कुछ एक्सरसाइज (excercise) कर सकती हैं।
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महिला के शरीर पर भी निर्भर करता है रिकवरी टाइम
गाइनोकोलोजिस्ट के अनुसार, जब किसी महिला की नॉर्मल डिलीवरी होती है यानी वह बच्चे को वजाइनल बर्थ (Vaginal birth) देती है तो डिलीवरी के बाद महिला के शरीर को वापस इंटरकोर्स के लिए तैयार होने में कम से कम 6 सप्ताह का समय लगता है। यह बात उन महिलाओं पर लागू होती है, जो स्वस्थ हों और उन्हें पूरा पोषण मिल रहा हो। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान सही देखभाल और पोषण पूरा नहीं मिल पाता तो उनकी बॉडी को रिकवर करने में अधिक समय लग सकता है। वैसे यह हर महिला के शरीर पर भी निर्भर करता है। किसी का शरीर जल्दी रिकवर कर लेता है तो किसी को रिकवरी में वक्त लगता है। लेकिन इस सब में सही डायट, योगासन और पर्याप्त आराम का बहुत बड़ा रोल होता है।
2 या 3 बच्चों को वजाइनल बर्थ देने के बाद आती है मुश्किल
जिन महिलाओं की पहली वजाइनल डिलीवरी हुई होती है, उन्हें वापस नैचुरल टाइटनेस पाने में आइडियल टाइम 6 सप्ताह का ही लगता है। लेकिन फिर भी वजाइनल टिश्यूज पहले की तुलना में हल्के लूज तो हो जाते हैं। लेकिन अगर किसी ने 2 या 3 बच्चों को वजाइनल बर्थ दिया है तो उनके लिए वापस पहले जैसी टाइटनेस पाना आमतौर पर संभव नहीं होता है। अगर महिलाएं अपनी डायट, रेस्ट और रुटीन का ध्यान रखें तो काफी हद तक रिकवरी की जा सकती है। ये सभी बातें उन महिलाओं के लिए हैं, जिन्होंने बच्चे को नैचुरल बर्थ दिया है। ऑपरेशन से होने वाले डिलीवरी केस इसमें शामिल नहीं हैं क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी की स्थिति में वजाइनल टिश्यूज में कोई परिवर्तन नहीं होता है।