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शिमला। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या चुनावी मुद्दा रहा है। हर राजनीतिक दल इसे लेकर खूब हो हल्ला मचाता रहा है और खासकर विपक्ष में रहने वाला दल बेरोजगारों के कंधों पर अपनी बंदूक रखकर सरकार पर हमला बोलता है। हिमाचल में वास्तव में कितने बेरोजगार हैं, इसे लेकर पूर्व में भी कई बार खूब बहस और राजनीति हो चुकी है, लेकिन सही आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है। इसे देखते हुए अब सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने श्रम व रोजगार विभाग को आदेश दिए हैं कि वे रोजगार केंद्रों में पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़ों को अलग-अलग श्रेणी में बांटे और वास्तव में कितने बेरोजगार हैं, उसका आंकड़ा उनके समक्ष लाएं।
10 लाख युवाओं के रोजगार कार्यालयों में नाम दर्ज
राज्य में 10 लाख युवाओं के रोजगार कार्यालयों में नाम दर्ज बताए जाते हैं, लेकिन इनमें असल में कितने बेरोजगार हैं, सही आंकड़ा नहीं है। रोजगार कार्यालयों में उन युवाओं को नाम भी दर्ज हैं, जो सरकारी नौकरी करते हैं, लेकिन ऊंची शिक्षा होने के चलते दूसरी नौकरी के लिए पंजीकरण करवा रखा है। कई निजी क्षेत्र में नौकरी करते हैं और सरकारी नौकरी के लिए नाम पंजीकृत कर रखा है। ऐसे में युवाओं के पास रोजगार तो है, लेकिन बेरोजगारों की कतार में भी उनका नाम दर्ज है। ऐसे में वास्तव में कितने युवा हैं, जो सही मायने में बेरोजगार हैं और उन्हें रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत है, इसका सही पता नहीं है।
श्रम व रोजगार विभाग की रिव्यू बैठक में इस संबंध में हुई चर्चा
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि श्रम व रोजगार विभाग की रिव्यू बैठक में इस संबंध में चर्चा हुई है। उन्होंने इस संबंध में विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वे रोजगार कार्यालयों में रोजगार के दर्ज जितने नाम हैं, उनकी श्रेणीवार सूची बनाएं। इसमें स्पष्ट हो कि कितने युवा वास्तव में बेरोजगार हैं और कितने ऐसे हैं जो निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं और सरकारी नौकरी में होने के बाद भी कितने ऐसे हैं जो रोजगार कार्यालयों में दर्ज हैं। उनका कहना था कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह पता चल सके कि वास्तव में यहां कितने बेरोजगार हैं और फिर उन्हें रोजगार प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने और इन्हें स्वरोजगार दिलाने को राज्य की नई जयराम ठाकुर सरकार कार्य करेगी।
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