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ऊना। प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कर्मचारी यूनियन द्वारा बिजली कानून-2018 पर चर्चा के लिए मंगलवार को बिजली कॉलोनी रक्कड़ में प्रदेश स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने की। जबकि महासचिव हीरा लाल वर्मा समेत यूनियन के तमाम दिग्गज नेता भी अधिवेशन में उपस्थित हुए। इस दौरान बिजली बोर्ड के विघटन का पूरजोर विरोध किया गया।
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कुलदीप सिंह ने कहा कि संसद में बिजली कानून-2003 को ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन इसके परिणाम पूर्ण रूप से नकारात्मक रहे हैं। खरवाड़ा ने कहा कि बिजली बोर्ड का विघटन और छोटी-छोटी कंपनियां बनाने का मॉडल अभी तक फेल रहा है।
बोर्ड के विघटन से न सिर्फ कर्मचारियों और पेंशनर्स को बुरे दिन देखने पड़ेंगे। बल्कि सरकार को भी हजारों करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा। यदि सरकार जिला बोर्ड को कंपनी के रूप में स्थापित कर इसके तीनों विंगों को अलग करती है, तो बोर्ड के पास मात्र 22 करोड़ रुपये का ढांचा ही रह जाएगा।
उन्होंने मांग की है कि प्रदेश सरकार इस मुहिम पर रोक लगाने में पहल करें। कर्मचारियों और पेंशनर्स में बढ़ रही संशय की स्थिति को भी दूर किया जाए। सरकार अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए जल्द ही कर्मचारियों और इंजीनियर्स के संगठनों के साथ वार्ता करे। इस मौके पर सभी कर्मचारियों ने एकसुर में बिजली बोर्ड के विघटन का विरोध करते हुए केंद्र सरकार को कड़ी चेतावनी दी है।
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