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Himachal में VAT, सामान्य विक्रय कर के लंबित मामलों का अब होगा निपटारा
Last Updated on January 17, 2020 by saroj patrwal
शिमला। प्रदेश सरकार ने आबकारी एवं कराधान विभाग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के लीगेसी मामलों के समाधान को मंजूरी प्रदान कर दी है। जयराम कैबिनेट (Jai Ram Cabinet) में ये मंजूरी प्रदान की गई है। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने बताया कि योजना के अन्तर्गत वस्तु एवं सेवा कर में सामान्य विक्रय कर, वैट, केन्द्रीय बिक्री कर और अन्य कराधान कानूनों के अंतर्गत लंबित मामलों का समाधान किया जाएगा। सीएम ने कहा कि योजना लंबित एरियर के समाधान के साथ-साथ वस्तु एवं सेवा कर के तहत निर्धारित कराधान कानूनों के लंबित आकलनों के निपटान के लिए जमा होने वाले किसी भी बकाया के लिए लागू होगी। इस योजना से मूल्यांकन के मामलों तथा मुकदमों के तहत बकाया न मिलने वाले लंबित मुद्दों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने जीएसटी (GST) लागू करने के बाद लंबित मामलों के समाधान के लिए बंदोबस्त योजना शुरू की है। इन राज्यों ने कुछ मौजूदा कानूनों के अंतर्गत बंदोबस्त योजना को रखा है। केन्द्र सरकार (Central government) ने केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सबका विकास योजना 2019 (लीगेसी विवाद समाधान) शुरू की है। सीएम ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं से आवेदकों को प्रतिरक्षण और प्रोत्साहन मिला है। महाराष्ट्र में करों पर 50 प्रतिशत, जुर्माने में 90 प्रतिशत और ब्याज में 95 प्रतिशत छूट दी गई है। कर्नाटक ने जुर्माने की बकाया और ब्याज में 90 प्रतिशत छूट दी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने योजना के तहत 40 से 70 प्रतिशत के बकाया करों में छूट देने के अतिरिक्त अभियोजन में भी पूर्ण रूप से छूट प्रदान की है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि लगभग 3500 करोड़ के बकाया और तीन लाख मूल्यांकन के मामले लंबित (Pending) पड़े हैं। इस योजना से लगभग 620 से 670 करोड़ तक का राजस्व प्राप्त होगा तथा यह योजना वर्तमान के सभी डिफॉल्टर्स के लिए लागू होगी। इस योजना से सभी लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए मानवशक्ति उपलब्ध होगी, जिसके परिणामस्वरूप जीएसटी के अनुपालन में सुधार होगा। सीएम ने कहा कि इस योजना में भुगतान शुल्क का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि घोषक को कर भुगतान के लिए निपटान शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होती है तथा रिटर्न या कर के भुगतान में जहां देरी होती है, वहां 10 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाता है, जहां कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है तथा वैधानिक रूप (सीएफएच इत्यादि) शामिल हैं और प्रस्तुत नहीं किए गए है, उन मामलों में 110 प्रतिशत कर देना होता है। उन्होंने कहा कि सेटलमेंट योजना के तहत घोषणा-पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल, 2020 होगी।