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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला शहर में निजी भूमि पर लगे पेड़ों की गणना को लेकर डीसी शिमला को आदेश दिए हैं कि वह राजस्व विभाग से हलका पटवारियों की नियुक्ति करें। इस संबंध में वन विभाग के प्रमुख ने आग्रह आया कि शिमला नगर निगम क्षेत्र में पेड़ों की गणना के लिए राजस्व विभाग से हलका पटवारियों की जरूरत है।
कोर्ट ने वन विभाग को यह निर्देश भी दिया कि वह शिमला नगर निगम सीमा के भीतर पौधरोपण की वृद्धि को लेकर एरियल सर्वे करने और रेडियों फ्रीक्वेंसी से हर पौधे की टैगिंग करें। साथ ही इस संबंध में शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को जानकारी देने को कहा है।
हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने रामनगर के लोगों द्वारा हाईकोर्ट को लिखे पत्र पर स्वयं संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिए। कोर्ट में रामनगर के लोगों ने अपनी याचिका में कहा था कि वे रामनगर और आस-पास के इलाकों में पेड़ पौधों और घने जंगलों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग नवीन तकनीक से पेड़ों को न केवल मिनटों में काट लेते हैं, बल्कि पीछे कोई सबूत भी नहीं छोड़ते। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि 13 जुलाई की रात को कुछ पेड़ काट दिए गए थे। लेकिन, जब इसकी शिकायत की गई तो कई पेड़ों को फिर बचाया जा सका।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को दी याचिका में आग्रह किया कि वह इस संबंध में वन विभाग को निर्देश दें कि वह पेड़ों को नुकसान पहुंचाने और उन्हें हटाने में लगे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। साथ ही रामनगर में लगे हुए सभी पेड़ों पर निशान लगाएं जाएं, ताकि हरे देवदार और बान के पौधों को बचाया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।
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