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घटिया दवाओं पर हिमाचल हाईकोर्ट सख्त; पूछे अहम सवाल, मांगा शपथ पत्र
Last Updated on September 19, 2023 by Soumitra Roy
शिमला। हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाइयों (fake Medicine Production In Himachal Pradesh) के उत्पादन पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या दवा उत्पादकों ने निजी दवा प्रयोगशाला (Private Lab) से परीक्षण करवाया है या नहीं? यदि परीक्षण के दौरान दवाइयां घटिया पाई गई तो क्या राज्य सरकार को सूचित किया गया या नहीं? कोर्ट ने निजी दवा प्रयोगशालाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी शपथपत्र तलब किया है।
मांगी स्टेटस रिपोर्ट
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि दवा परीक्षण प्रयोगशाला में नियमित कर्मचारी की तैनाती क्यों नहीं की गई है, जिसे जिम्मेवार ठहराया जा सके? मामले की सुनवाई के दौरान पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए है, लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने बारहवीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी।
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अदालत ने राज्य सरकार से प्रयोगशाला के निर्माण के बारे में भी ताजा स्टेटस रिपोर्ट (Latest Status Report) तलब की है। राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 11 दवाइयों के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया गया। घटिया और नकली दवाइयों के निर्माता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, काला अंब के साथ-साथ पांवटा साहिब के औद्योगिक समूहों में स्थित हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 नवंबर को निर्धारित की गई है।