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साल के पहले दिन मां शूलिनी के दरबार में लगे जयकारे, भक्तों ने किए दर्शन
Last Updated on January 1, 2020 by Deepak
दयाराम कश्यप/सोलन। मां शूलिनी के दरबार में साल के पहले दिन सैकड़ों भक्त हाजिरी भरने पहुंचे। दरबार में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। अपनी बारी के इंतजार में भक्त कतारबद्ध खड़े रहे। शूलिनी मंदिर (Shoolini temple) में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो गई जो बाद में लंबी कतार में बदल गई। नववर्ष पर शूलिनी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया गया है। नए साल के पहले दिन स्थानीय सहित बाहरी राज्यों के सैकड़ों लोगों ने मां के दर्शन किए। लोगों ने नए वर्ष की शुभकामनाओं के लिए मां से आशीर्वाद भी लिया।
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शूलिनी देवी सोलन सहित आसपास के क्षेत्र की कुलदेवी है। स्थानीय लोग और किसान उगाई गई फसल (Crops) तैयार होने के बाद सबसे पहले यहां पर चढ़ाते हैं। इसके बाद ही लोग स्वयं अपनी फसलों का सेवन करते हैं। वहीं इस तरह गाय के दूध, घी को भी पहले मां शूलिनी को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि माता शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या महामारी का प्रकोप नहीं होता है, बल्कि सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके तहत काफी समय से मां शूलिनी के नाम पर सोलन (Solan) में मेला भी आयोजित किया जाता है। यह मेला भी जहां जनमानस की भावनाओं से जुड़ा है, वहीं पर विशेषकर ग्रामीण लोगों को मेले में आपसी मिलने-जुलने का अवसर मिलता है, जिससे लोगों में आपसी भाईचारा, राष्ट्र की एकता और अखंडता की भावना पैदा होती है।
बघाट रियासत की कुल देवी
माता शूलिनी बघाट रियासत के शासकों की कुल श्रेष्ठा देवी मानी जाती है। वर्तमान में माता शूलिनी का मंदिर सोलन शहर के दक्षिण में विद्यमान है। इस मंदिर में माता शूलिनी के अतिरिक्त शिरगुल देवता, माली देवता इत्यादि की प्रतिमाएं मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं (Mythology) के अनुसार माता शूलिनी सात बहनों में से एक हैं। अन्य बहनें हिंगलाज देवी, जेठी ज्वाला जी, लुगासना देवी, नैना देवी और तारा देवी के नाम से विख्यात हैं। माता शूलिनी देवी के नाम से सोलन शहर का नामकरण हुआ था, जो कि मां शूलिनी की अपार कृपा से दिन-प्रतिदिन समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करती थी। इस रियासत की नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत की प्रारंभ में राजधानी जौणाजी, तदोपरांत कोटी और बाद में सोलन बनी। राजा दुर्गा सिंह इस रियासत के अंतिम शासक थे।